अरछा बरेठी गांव का अस्तित्व खतरे में, हर साल बाढ़ से सैकड़ों लोग बेघर — प्रशासन मौन
युवा समाजसेवी शंकर यादव पांच वर्षों से उठा रहे आवाज

जन एक्सप्रेस चित्रकूट। राजापुर तहसील के अंतर्गत आने वाला गांव अरछा बरेठी इस समय अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। हर साल बरसात के मौसम में आने वाली पैसुनी नदी की बाढ़ से गांव में तबाही मच जाती है। नदी के लगातार कटान से अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि गांव का बड़ा हिस्सा खतरे में है। सैकड़ों ग्रामीण हर बरसात में बेघर होकर खेतों और खलिहानों में झोपड़ियां डालने को मजबूर हैं।गांव में केवट, राजपूत, यादव, ठाकुर और वैश्य समुदाय के लोग निवास करते हैं, जिन पर बाढ़ का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। इन परिवारों के घर, मवेशी और जीवन—सभी पर खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल यह समस्या दोहराई जाती है, लेकिन आज तक किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया।गांव के युवा समाजसेवी शंकर यादव पिछले पांच वर्षों से पैसुनी नदी के कटान को रोकने की मांग उठा रहे हैं। उन्होंने जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री और जलशक्ति मंत्री को पत्र लिखकर नदी में पिचिंग कार्य कराए जाने की मांग की है, ताकि गांव को बचाया जा सके।शंकर यादव का कहना है कि “हमने बार-बार शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। अधिकारी केवल सर्वे कर चले जाते हैं, मगर कोई कार्यवाही नहीं होती।”इस बीच सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने इस समस्या पर सर्वेक्षण किया, लेकिन विभाग के उच्चाधिकारियों, विशेषकर मुख्य अभियंता बेतवा झांसी सर्किल, ने इस मांग को “औचित्यहीन” बताया। उनका कहना है कि “इस क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति नहीं बनती।”ग्रामीणों ने विभाग के इस रुख पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि “जिन अधिकारियों को जमीनी हकीकत का अंदाजा नहीं, वे कैसे समाधान देंगे?”गांव के पूर्व प्रधान सुमेर सिंह, शिव प्रताप त्रिपाठी, रामसेवक पांडेय, रामसुमेर चौरसिया, गया पांडे, विजयपाल, बच्चा लाल और राकेश कुमार राजपूत सहित कई लोगों ने बताया कि वे अनेक बार अधिकारियों के दरवाजे खटखटा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।ग्रामीणों का कहना है कि “यदि समय रहते नदी का कटान नहीं रोका गया तो आने वाले वर्षों में गांव का अस्तित्व ही मिट जाएगा।”
नवागंतुक डीएम पुलकित गर्ग से उम्मीदें
अब सबकी नजरें चित्रकूट के नवागंतुक जिलाधिकारी पुलकित गर्ग पर टिकी हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि वह इस गंभीर समस्या पर ध्यान देंगे और पैसुनी नदी के कटान को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएंगे।ग्रामवासियों का कहना है कि सरकार की योजनाएं कागजों में तो दिखती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यदि प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो आने वाले समय में अरछा बरेठी गांव नक्शे से गायब हो सकता है।






