मानवाधिकार संगठन के मंडल अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
बलरामपुर । जनपद बलरामपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर एक बार फिर मुहिम तेजी पकड़ती दिख रही है। प्रदेश सरकार द्वारा मंडल स्तर पर विश्वविद्यालयों की स्थापना की घोषणा के बाद बलरामपुर में विश्वविद्यालय स्थापित करने को लेकर एमएलके पीजी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं मानवाधिकार संगठन के मंडल अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय की स्थापना एमएलके पीजी कॉलेज बलरामपुर जिले में कहीं भी उचित स्थान देखकर कराने की मांग उठाई गई है। उन्होंने इसके लिए कई तार्किक उदाहरण भी पेश किए हैं ।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के लिए पात्र हैं डॉ राजीव रंजन में लिखा है कि किसी भी प्रदेश का सम्यक विकास शिक्षा से ही सम्भव होता है। इस तथ्य के आलोक में प्रदेश के सभी मण्डलों में कम से कम एक विश्वविद्यालय की स्थापना का आपकी सरकार का संकल्प सराहनीय है। इस दृष्टि से देवीपाटन मण्डल उन इने-गिने मण्डलों में आता है जहाँ विश्वविद्यालय की स्थापना को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय यदि मण्डल के केन्द्र में हो और उच्च शैक्षिक विकास को गति देने में अपेक्षाकृत अधिक उपयुक्त हो तो वह शीघ्र अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर लेता है। इस परिप्रेक्ष्य में बलरामपुर नगर के आस-पास विश्वविद्यालय की स्थापना अत्याधिक उपयुक्त रहेगी। यहाँ महारानी लाल कुँवरि स्नातकोत्तर महाविद्यालय तराई अंचल का न केवल सबसे बड़ा महाविद्यालय है अपितु गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के पूर्व से ही इस अंचल की उच्च शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता आ रहा है। यह महाविद्यालय अपनी गुणवत्तापरक उत्तम शिक्षा व्यवस्था के लिए अपने स्थापना काल से ही प्रसिद्ध रहा है। इसके भवनों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय और ख्यातिनाम शिक्षकों को देखकर 1969 में इस महाविद्यालय में पधारे उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्द्र भानु गुप्त ने अभिभूत होकर यह टिप्पणी की थी कि यदि इस काॅलेज को पहले देखा होता तो गोरखपुर के स्थान पर यहीं विश्वविद्यालय की स्थापना करवाता। 1955 में इसके प्रथम शैक्षिक सत्र के उद्घाटन के अवसर पर पधारे तत्कालीन राज्यपाल माननीय कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी ने कुलाधिपति के पत्र में इस महाविद्यालय को उत्तर प्रदेश के उत्तम महाविद्यालयों में अन्यतम बताया है। उक्त तथ्य के प्रकाश में बलरामपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उत्तम स्थान है। ऐसे ही महत्वपूर्ण स्थान के रूप में तुलसीपुर को चुना जा सकता है। जहाँ देवीपाटन का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है और नाथ सम्प्रदाय का उत्तम केन्द्र है। इन दोनों स्थानों में से किसी एक स्थान पर विश्वविद्यालय की स्थापना से तराई अंचल के विकास को गति मिलेगी जो शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश का सर्वाधिक पिछ़ड़ा अंचल है। उन्होंने बलरामपुर तुलसीपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अनुरोध किया है ।