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खरीफ बुवाई में कमी के बीच खाद्यान्न भंडार

खरीफ बुवाई में कमी के बीच कृषि जिंसों के भंडार के बेहतर प्रबंधन की जरूरत है। रिपोर्ट में साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यानी महंगाई का सख्ती के मुकाबला करना चाहिए। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत में मुद्रास्फीति का दबाव कम होता हुआ दिख रहा है।

सरकार द्वारा किए गए प्रशासनिक उपायों के साथ ही चुस्त मौद्रिक नीति और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंस कीमतों में नरमी के चलते ऐसा हुआ। रिपोर्ट में आगे कहा गया, इसके बावजूद मुद्रास्फीति के मोर्चे पर आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि खरीफ सत्र में कम फसल बुवाई की स्थिति में कृषि जिंसों के भंडार और बाजार कीमतों के कुशल प्रबंधन की जरूरत है।

खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि धान की बुवाई क्षेत्र में कमी के कारण इस साल खरीफ सत्र के दौरान भारत का चावल उत्पादन 1-1.2 करोड़ टन घट सकता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के चलते घरेलू कीमतों में भी वृद्धि हुई। हालांकि, सरकार द्वारा समय पर किए गए हस्तक्षेपों के कारण घरेलू कीमतों में वृद्धि अपेक्षाकृत मामूली थी।

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