बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस को निशाने पर लिया है।
कार्यक्रमों को बताया छलावा, कहा– बहुजन समाज को गुमराह करने की साजिश

जन एक्सप्रेस, लखनऊ।बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस को निशाने पर लिया है। उन्होंने दोनों दलों को जातिवादी सोच से प्रेरित बताते हुए उन पर कांशीराम के आंदोलन को कमजोर करने और उनके नाम पर बने संस्थानों के नाम बदलने का आरोप लगाया।
बसपा का शक्ति प्रदर्शन, सपा पर ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ वाली राजनीति का आरोप
गुरुवार को कांशीराम परिनिर्वाण दिवस के मौके पर लखनऊ स्थित कांशीराम स्मारक स्थल पर बसपा द्वारा राज्य स्तरीय भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। मायावती ने कहा कि बसपा इस दिन को शक्ति प्रदर्शन और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के अवसर के रूप में देख रही है।वहीं सपा द्वारा भी इस अवसर पर जिलों में श्रद्धांजलि सभा और संगोष्ठी के आयोजन के निर्देश दिए गए हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मायावती ने इसे “मुंह में राम, बगल में छुरी” वाली राजनीति बताया और कहा कि यह विशुद्ध दिखावा और राजनीतिक स्वार्थ है।
“सपा-कांग्रेस ने कांशीराम जी के आंदोलन को किया कमजोर” — मायावती
मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट कर लिखा कि सपा और कांग्रेस ने कभी भी कांशीराम जी को सही सम्मान नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा सरकार ने उनके जीवनकाल में उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशें कीं, और उनके देहांत के बाद न तो कोई राजकीय शोक घोषित किया गया, और न ही केंद्र की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।
कांशीराम नगर का नाम बदले जाने पर जताई नाराजगी
मायावती ने सपा सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि बसपा सरकार द्वारा वर्ष 2008 में बनाए गए “कांशीराम नगर” जिले का नाम सपा ने अपनी जातिवादी सोच और राजनीतिक द्वेष के चलते बदल दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि कांशीराम के नाम पर बनाए गए कई विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अस्पतालों के नाम भी सपा सरकार ने बदलवा दिए।मायावती ने अपने बयान में कहा कि कांशीराम जी को लेकर सपा और कांग्रेस जैसी पार्टियां जो श्रद्धांजलि कार्यक्रम कर रही हैं, वह केवल वोट बैंक की राजनीति है। उन्होंने बहुजन समाज को सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि यह पार्टियां केवल दिखावा कर रही हैं, जबकि असल में उन्होंने कभी कांशीराम के विचारों और आंदोलन का समर्थन नहीं किया।






