नीलांश वाटर पार्क ने गोमती नदी पर किया अवैध कब्जा
गोमती की पुकार, सत्ता के गलियारों तक कब पहुंचेगी?

जन एक्सप्रेस / लखनऊ : सोशल एक्टिविस्ट तिरंगा महाराज जी ने एक वीडियो जारी कर दिखाया कि गोमती नदी के भीतर बाकायदा एक लंबी और चौड़ी दीवार बना दी गई है — और यह सब नीलांश वाटर पार्क के नाम पर किया गया है। क्या यह दीवार सिर्फ ईंट और पत्थर की है, या इसके पीछे तंत्र और ताज का गठजोड़ भी छुपा है?
भू-माफियाओं की सरकार को खुली चुनौती
तिरंगा महाराज का आरोप है कि नीलांश वाटर पार्क न सिर्फ गोमती की पवित्र भूमि पर काबिज है, बल्कि खुलेआम पर्यावरणीय नियमों और अदालतों के आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। यह सब एक खुली चुनौती है योगी सरकार और लखनऊ प्रशासन के लिए।
अधिकारियों पर मुख्यमंत्री को गुमराह करने का आरोप
उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को जानबूझकर गुमराह कर रहे हैं। गोमती नदी की पीड़ा को अब तक यदि मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचाया गया, तो क्या यह एक सुनियोजित चुप्पी है?
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की खुली अवहेलना
सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी नदी से 200 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य नहीं हो सकता। फिर यह दीवार कैसे और किसके आदेश पर खड़ी कर दी गई?
जनहित याचिका पर भी नहीं हुई कार्रवाई
तिरंगा महाराज द्वारा दायर की गई जनहित याचिका (मामला संख्या 10/2024) पर उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया था कि सर्वे कर कब्जा मुक्त कराया जाए। लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। क्यों?
प्रशासन मौन, माफिया बेलगाम
नीलांश वाटर पार्क के मालिक आज भी नदी की गोद में व्यवसाय चला रहे हैं। क्या यह वही लखनऊ है, जो कल तक “स्वच्छ भारत” और “स्मार्ट सिटी” का सपना देख रहा था?
डीएम को सौंपी गई जानकारी — अब फैसला प्रशासन के हाथ
तिरंगा महाराज ने लखनऊ के जिलाधिकारी विशाख जी को पूरी जानकारी दे दी है। अब सवाल उठता है — क्या प्रशासन मां गोमती के आंसुओं को पोंछेगा, या फिर आंखें मूंदे बैठे रहेगा?
मां गोमती आज भी बह रही है — लेकिन उसकी धारा में अब श्रद्धा नहीं, पीड़ा बह रही है। क्या योगी सरकार उठाएगी सख्त कदम, या जल-जंगल-जमीन का यह बलिदान यूँ ही चलता रहेगा?






