अमेठी । रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से जमीन का जैव कार्बन बहुत निचले स्तर पर पहुंच गया है। जिससे उत्पादन भी घट रहा है।और हम लोग जहर खाने के कारण स्वयं तथा अपनी आने वाली संतति के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं।यदि समय रहते हम नहीं चेते,तो आने वाला समय बहुत खतरनाक होगा। उपरोक्त बातें नाबार्ड के सहयोग से मुसाफिरखाना के चनन्दीपुर गांव में ओंकार सेवा संस्थान द्वाराआयोजित किसानों के एक दिवसीय प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम अध्यक्ष डॉ रतन आनंद ने कही।उन्होंने कहा कि खेती को उद्योग के रूप में करना होगा।और किसानों को बाजार की मांग के अनुरूप अपना उत्पादन करना होगा।हमे धान,गेंहू की परंपरागत खेती से हटकर मांग आधारित और बाजार आधारित खेती करनी होगी तभी सही मायने में किसान की आमदनी दुगनी हो सकेगी और किसान खुशहाल हो सकेगा वरना इस आर्थिक युग में किसान चकाचौंध में इधर उधर भटकता रहेगा।कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अनिल दोहरे ने किसानों से अपील की तेज हवा चलने पर गेंहू की सिंचाई बिल्कुल न करें और पुष्पावस्था और दुग्धावस्था में अवश्य सिचाई करें। इसके साथ ही किसान भाइयों को अनाज के भंडारण के बारे में ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारी प्रदान की।गोश्ठी में आएं किसानों ने वैज्ञानिको से अपनी समस्यास्यों के बारे में सवाल भी किये इसके साथ वैज्ञानिकों की टीम किसानों के खेत पर भी गयी और वहां भी किसानों प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम संयोजक सूर्य कुमार त्रिपाठी ने कहा कि हमे रासायनिक खादों से दूर जाना होगा और खेती की पुरानी विधा प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा।तभी हम सबका भला हो सकता है।एक देशी गाय से हम 10 एकड़ भूमि पर बिना किसी रासायनिक खाद और कीटनाशक के खेती कर सकते हैं।और मुनाफा कमा सकते हैं। रासायनिक खादों और कीटनाशक हमारे जीव जंतुओं और पशु पक्षियों के साथ साथ मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है।जिसकी वजह से गौरैया,गिद्ध आज लगभग विलुप्त होने के कगार पर हैं। इसलिए समय रहते हम सभी को चेतना होगा और आने वाली पीढ़ी को एक स्वास्थ्य और उपजाऊ जमीन विरासत में देनी होगी। गोष्ठी को कृषि विभाग के तकनीकी सहायक डॉ रामफल ने भी संबोधित किया।कार्यक्रम में अजय शुक्ल,अमरदीप शुक्ल,राजितराम,चंद्रकली,विमला, सहित सैकड़ों की संख्या में महिला एवम पुरुष किसान उपस्थित रहे।