डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर संगोष्ठी आयोजित
एक राष्ट्र, एक निशान के प्रबल समर्थक थे डॉ० मुखर्जी: जनार्दन गुप्ता

जन एक्सप्रेस/महराजगंज : भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पर रविवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान उनके राष्ट्रहित में दिए गए अद्वितीय योगदान और बलिदान को स्मरण करते हुए उनके आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया गया।
मुख्य अतिथि पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य एवं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जनार्दन प्रसाद गुप्ता ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने अपना समस्त जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया।।उन्होंने ‘एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे’ का नारा देकर देश की एकता और अखंडता के लिए ऐतिहासिक आंदोलन खड़ा किया। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि उस तपस्वी की हुंकार थी जो राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तत्पर था। जनार्दन गुप्ता ने बताया कि डॉ. मुखर्जी मात्र 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने, जो अपने आप में एक उपलब्धि थी। उन्होंने कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 का विरोध करते हुए बिना परमिट कश्मीर में प्रवेश किया, जिसके लिए उन्हें 11 मई 1953 को गिरफ्तार कर लिया गया। 23 जून 1953 को वे जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में बलिदान हो गए। उनके सपनों को साकार करते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर एक राष्ट्र, एक विधान और एक निशान की परिकल्पना को साकार किया।






