कासगंज में ‘सुविधा शुल्क’ का खेल! हाईकोर्ट-सीएम आदेश के बावजूद वेतन के बदले मांगे 25 लाख
बकाया वेतन पर हाईकोर्ट का आदेश और सीएम योगी का निर्देश, फिर भी अफसरों की मनमानी चरम पर

जन एक्सप्रेस / कासगंज: नाथ के निर्देकासगंज जिले में योगी सरकार के “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” के दावों को बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर खुलेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यशों के बावजूद जिले के अफसर शिक्षा कर्मियों का बकाया वेतन देने के बदले 25 लाख की घूस मांगने के आरोप में घिरे हैं।
यह सनसनीखेज मामला कासगंज के सरदार भगत सिंह जूनियर हाईस्कूल से जुड़ा है, जहां के शिक्षकों का वर्ष 2011 से वेतन बकाया है। शिक्षकों ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वेतन जारी करने का स्पष्ट आदेश दिया। इसके बाद भी वेतन फाइलें फंसी हुई हैं — और अब सामने आई है ₹25 लाख ‘सुविधा शुल्क’ की मांग।
अफसरों के खिलाफ सीधे आरोप
BJP विधायक देवेंद्र सिंह राजपूत ने खुद इस भ्रष्टाचार को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है, जिसमें बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल और लिपिक अजय शंकर पर खुले तौर पर घूस मांगने के आरोप लगाए गए हैं।
विधायक के अनुसार, “जब तक ₹25 लाख नहीं दिए जाएंगे, तब तक वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। ये सीधा-सीधा हाईकोर्ट की अवमानना है और सीएम के आदेशों की अनदेखी।”
हाईकोर्ट और मुख्यमंत्री के आदेशों की उड़ रही धज्जियां
यह पूरा मामला दर्शाता है कि कैसे ज़मीनी स्तर पर बैठी व्यवस्था मुख्य न्यायिक संस्थाओं और मुख्यमंत्री कार्यालय की भी परवाह नहीं कर रही।
हाईकोर्ट का आदेश वर्षों से लंबित वेतन के तत्काल भुगतान का है, वहीं मुख्यमंत्री योगी बार-बार अधिकारियों को “पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन” का पालन करने के निर्देश देते रहे हैं। लेकिन कासगंज में मामला ठीक उलटा है।
विपक्ष को भी मिला मुद्दा
इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्षी दलों ने भी योगी सरकार को घेरा है। एक स्थानीय विपक्षी नेता ने कहा,
जब बीजेपी का अपना विधायक ही अफसरों की शिकायत कर रहा है, तो समझिए अंदर कितना कुछ सड़ चुका है।”
अब सवाल उठ रहे हैं –
क्या शिक्षा विभाग में अधिकारियों का दबदबा इतना है कि वे हाईकोर्ट और सीएम के आदेश को भी नजरअंदाज कर सकते हैं?
क्या वेतन पाने के लिए अब भी शिक्षक और कर्मचारियों को रिश्वत देनी पड़ेगी?
क्या BJP विधायक के आरोपों पर कोई कार्यवाही होगी, या मामला फिर ठंडे बस्ते में चला जाएगा?