रावी का कहर: कोटली खेहरा गांव पानी में डूबा, तबाही और बीमारियों का खतरा

जन एक्सप्रेस/अमृतसर: अमृतसर के सरहदी गांव कोटली खेहरा में रावी दरिया का कहर ग्रामीणों की ज़िंदगी पर गहरी चोट छोड़ गया है। धुस्सी बांध टूटने के बाद आई बाढ़ ने गांव को चारों ओर से पानी में डुबो दिया। आज हालत यह है कि गांव का सरकारी स्कूल और डिस्पेंसरी वीरान टापू की तरह दिखाई देते हैं। खेल का मैदान तालाब में बदल चुका है और हर ओर गंदा, ठहरा हुआ पानी फैला हुआ है।
चारों ओर तबाही का मंजर
गांव के बुजुर्ग हरमिंदर सिंह डूबे खेतों को देखकर भावुक हो उठे। उनका कहना है कि बांध टूटते ही कुछ ही घंटों में चार फीट तक पानी भर गया। लोग अपने बच्चों को लेकर जान बचाने ऊंची जगहों की ओर भागे। घर, सामान और मवेशी सब कुछ जलमग्न हो गया। उनकी आंखों में बेबसी और आवाज में दर्द साफ झलकता है।
गंदगी से बनी नई मुसीबत
भले ही अब पानी घटकर ढाई-तीन फीट रह गया है, लेकिन पीछे छोड़ी गाद और गंदगी ने ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है। बलबीर सिंह बताते हैं कि दिन में मक्खियों का आतंक है तो रात में मच्छरों से चैन नहीं। ठहरा हुआ पानी अब संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ा रहा है।
बीमारियों की चपेट में गांव
गांववासी हरजोत अपने छोटे बच्चे को गोद में लिए चिंतित नज़र आते हैं। वे बताते हैं कि लगभग हर घर में कोई न कोई बीमार है। किसी को तेज बुखार है, किसी को खुजली या फुंसियां। स्वास्थ्य विभाग की टीमें दवाइयों और छिड़काव के साथ पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन रास्तों में पानी और कीचड़ सबसे बड़ी रुकावट बने हुए हैं।
मकान ढहे, फसलें तबाह
सैकड़ों एकड़ फसलें बाढ़ में डूबकर नष्ट हो चुकी हैं। कई घर गिर गए हैं तो कुछ रहने लायक नहीं बचे। लोगों का रोजगार छिन गया है। ग्रामीणों में यह डर घर कर गया है कि कहीं गांव में पीलिया, हैजा और टायफाइड जैसी महामारी न फैल जाए।
ग्रामीणों की गुहार
लोगों की मांग है कि गांव में तत्काल मेडिकल कैंप और फोगिंग करवाई जाए। साथ ही बर्बाद हुई फसलों और खोए हुए रोजगार का मुआवज़ा दिया जाए। जिनके मकान ढह गए हैं, उन्हें पुनर्निर्माण के लिए तत्काल आर्थिक मदद दी जाए। कोटली खेहरा आज रावी की तबाही का गवाह बन चुका है। पानी भले ही धीरे-धीरे उतर रहा हो, लेकिन गांव की पीड़ा और ज़िंदगी पर पड़ा इसका असर लंबे समय तक बना रहेगा।
