हाउस टैक्स : गाजियाबाद जनपद के सबसे ज्वलंत मुद्दे पर सत्ताधारी दल में फूट!

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद : गाजियाबाद जनपद में नगर निगम के रूप में ट्रिपल इंजन की सरकार चल रही है। लेकिन तीसरे इंजन का असली ड्राइवर कौन है इसको लेकर विपक्ष और अब आम जनता सवाल उठाने लगी है। हाउस टैक्स वृद्धि का मुद्दा अब धीरे-धीरे आंदोलन का रूप लेने लगा है। ट्रांस हिंडन से लेकर गाजियाबाद के विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारियों और आम जनता ने नगर निगम गाजियाबाद के खिलाफ़ गुस्सा फूटने लगा है। पूर्व पार्षदों और कुछ भाजपा पार्षद जहां इस मुद्दे पर निगमायुक्त की मनमानी बताकर भाजपा और अपना बचाव कर रहे हैं तो दूसरी ओर अब निगमायुक्त भी खुलकर भाजपा के ही नेताओं के साथ विकास के मुद्दों पर चर्चा करके विपक्षी गुट पर निशाना साधने में लगे हैं। जिसमें उनका सहयोग भाजपा के ही वर्तमान और पूर्व पार्षद और महानगर संगठन पदाधिकारी कर रहे हैं। निगम की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विकास के टैग के साथ ऐसे बैठकों की फोटो वायरल करके निगमायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने खुलकर ताल ठोक दिया है। जबकि सुनीता दयाल अब इस मुद्दे पर चुप्पी साध , टैक्स वृद्धि मुद्दा जनता के पाले में डालकर निगमायुक्त को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
लोकसभा 2024 के चुनाव में जिले की राजनीति कितनी दूषित हुई सबने देखी जिला महानगर संगठन, विधायकों की गुटबंदी के आगे पूर्व सांसद और वर्तमान में राज्यपाल जनरल वी के सिंह की राजनीतिक हार हुईं । जिसके कारण उनका टिकट कटा और विधायक अतुल गर्ग महानगर संगठन और विधायकों के सहयोग से टिकट पाने में सफल रहे। केंद्रीय संगठन के बड़े नेता से नज़दीकी का लाभ अतुल गर्ग को मिला। महापौर सुनीता दयाल को नगर निगम गाजियाबाद में टिकट दिलाने में बड़ी भूमिका जनरल वी के सिंह की रही इसकी अंदरखाने ख़ूब चर्चा है। जिसके कारण नगर निगम गाजियाबाद भाजपा की अंदरूनी लड़ाई का अखाड़ा भी बना हुआ है। एक तरफ की कमान महापौर सुनीता दयाल के हाथ में है तो दूसरी अप्रत्यक्ष रूप से निगमायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने सम्भाल रखी है।
सूत्रों की माने तो निगमायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक हाउस टैक्स वृद्धि और नगर निगम के खिलाफ लगातार ताल ठोक रहे अन्य पार्षदों को विशेष रूप से विकासयुक्त करने की नीति से भाजपा का पार्षद दल पहले ही दो खंडों में बंट सा गया है। जिसका खामियाजा जनता भुगत रही है।
नगर निगम गाजियाबाद में सब कुछ ठीक नहीं
गाजियाबाद नगर निगम में निर्माण और प्रकाश विभाग में भारी अनियमितता का आरोप लगाकर पहले ही पार्षदों ने निगमायुक्त को कटघरे में खड़ा कर दिया था। जिसके बाद निगम में वर्षों से जमे अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठे लेकिन मामला आया गया हो गया। प्रकाश विभाग में चुनिंदा ठेकेदारों से ही क्रय और अनुरक्षण के कार्यों में धांधली की शिकायत का मामला हो या नगर के विकास को लेकर बरती जा रही कोताही दोनों ही मुद्दों पर पार्षदों ने पत्रकार वार्ता आयोजित करके ख़ूब पेपर उछाले उसके बाद से निगम प्रशासन बैकफूट पर था। अब जब स्थानांतरण का दूर शुरू हुआ है तो कुर्सी के बदलने के बाबत बचाने के प्रयास शुरू हुए हैं। क्योंकि हाउस टैक्स के मुद्दे पर संगठन की साख खराब होने की कहानी लखनऊ दरबार में पहुंचाई जा रही है। जिसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा ।






