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आने वाला युग एडीआर का: प्रोफ़ेसर (डॉ.) बंशीधर सिंह

लविवि के विधि संकाय में हुआ प्रथम वर्ष के छात्रों का ओरिएंटेशन कार्यक्रम

जन एक्सप्रेस/संवाददाता 

लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय में एडीआर ड्राफ्टिंग एवं लिटरेटी सोसाइटी के द्वारा प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं हेतु अभिविन्यास कार्यक्रम अयोजित किया गया। कार्यक्रम को अधिष्ठाता विधि संकाय प्रोफ़ेसर (डॉ.) बंशीधर सिंह, सोसाइटी के टीचर को-ऑर्डिनेटर प्रोफ़ेसर (डॉ.) हरीश चंद्र राम, अपर कुलानुशासक द्वितीय परिसर प्रोफ़ेसर (डॉ.) मोहम्मद अहमद, योग संकाय के अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर (डॉ.) एके सोनकर, एडीएसडब्ल्यू (डॉ.) अभिषेक तिवारी ने संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रोफ़ेसर (डॉ.) बंशीधर सिंह ने कहा कि “सफ़ल होने के लिए कोचिंग नहीं क्लास को माध्यम बनाएं, विधि संकाय में योग्य शिक्षकों की पर्याप्त संख्या है जिनसे विधि के प्रत्येक आयाम में सब कुछ सीखा जा सकता है, अतः प्रयास करें कि अपने विधि पाठयक्रम की पढ़ाई इस प्रकार करें कि बाद में कोचिंग की आवश्यकता न पड़े।”

उन्होंने मध्यस्थता के महत्व को विस्तार से बताते हुए कहा कि आने वाला समय वैकल्पिक विवाद निपटारे का है, न्यायालयों में लंबित वादों की संख्या को देखते हुए अब सफल वैकल्पिक विवाद निपटारे की ओर बढ़ना होगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अन्य वक्ताओं ने विधि के छात्रों को ड्राफ्टिंग की कला सीखने के लिए प्रोत्साहित किया उनके अनुसार ड्राफ्टिंग के बिना विधि का अध्ययन अधूरा है। स्टूडेंट डीन इन्द्र दमन तिवारी ने संकाय की उपलब्धियां के विषय में बताते हुए संकाय के यूट्यूब चैनल एवं ट्विटर हैंडल की चर्चा की एवं उपस्थित अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

प्रोफ़ेसर (डॉ.) मोहम्मद अहमद ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका सबसे पुरानी न्यायिक प्रणाली में से एक है, जो विश्व प्रसिद्ध तथ्य है, लेकिन आजकल यह भी सर्वविदित तथ्य है कि लंबित मामलों से निपटने के लिए भारतीय न्यायपालिका अक्षम होती जा रही है, भारतीय अदालतों में लंबे समय से अनसुलझे मामले हैं। परिदृश्य यह है कि पहले से ही लाखों मामलों का निपटारा करने वाले तमाम फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के बाद भी समस्या दूर होने में अभी समय है क्योंकि लंबित मामले अभी भी लंबित ही हैं, एडीएलएस योग्य मध्यस्थ तैयार करेगी।

प्रोफ़ेसर (डॉ.) हरीश चंद्र राम ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र की अवधारणा विवादों को सुलझाने के पारंपरिक तरीकों का विकल्प प्रदान करने में सक्षम है, एडीआर सिविल, वाणिज्यिक, औद्योगिक और परिवार आदि सहित सभी प्रकार के मामलों को हल करने की पेशकश करता है, जहां लोग किसी भी प्रकार की बातचीत शुरू करने और निपटान तक पहुंचने में सक्षम नहीं हैं, इस अनुक्रम में एडीएलएस के प्रयास सराहनीय हैं। कार्यक्रम के अन्त में सोसाइटी की प्रेसीडेंट आरज़ू नायाब, कन्वेनर अंकित राय एवं वरिष्ठ सदस्यों ने अपने अनुभव साझा करते हुए सोसाइटी के आगामी कार्यक्रमों का उल्लेख किया।

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