दिल्ली/एनसीआर

हाई कोर्ट ने दिल्ली कोचिंग हादसे की जांच सीबीआई को सौंपी

Listen to this article

नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने राजेन्द्र नगर की आईएएस कोचिंग के बेसमेंट में जलभराव से तीन यूपीएससी परीक्षार्थियों की मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को मनोनीत करने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने कहा कि घटना की प्रकृति को देखते हुए सीबीआई जांच जरूरी है। लोगों को जांच को लेकर कोई संदेह न हो, इसलिए सीबीआई जांच का फैसला किया गया है। हाई कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को निर्देश दिया कि वो सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को मनोनीत करे। हाई कोर्ट ने कहा कि ये एक सच्चाई है कि दिल्ली के नगर निकायों के पास इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए धन नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में 75 साल पहले नाले बनाए गए थे। इन नालियों का रखरखाव काफी खराब है। हाई कोर्ट के पहले के आदेशों को लागू नहीं किया गया।

सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने कहा कि नाले उस इलाके में काम नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नालों का स्थानीय लोगों और दुकानदारों ने कई स्थानों पर अतिक्रमण कर दिया है। निगम आयुक्त ने कोर्ट को भरोसा दिया कि नालों को अतिक्रमण मुक्त कर लिया जाएगा और अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार निगम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए नगर निगम के कमिश्नर, जिले के डीसीपी और जांच अधिकारी को सभी फाइलों के साथ अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राजेंद्र नगर में जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण से भी अधिक है। उन्होंने कहा था कि 2019 में होटल में आग लगने से एक आईआरएस और एक विदेशी की मौत हो गई थी। कुछ महीने पहले मुखर्जी नगर की कोचिंग में आग की घटना और नर्सिंग होम में लगी आग की घटना भी हुई। हम ऐसी जगह रह रहे हैं जहां लोग आग और पानी से मर जा रहे है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि साल 2023 में कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम और अन्य स्थानीय अधिकारियों को निर्देश भी जारी किया था लेकिन एक साल बीत गया लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। इस साल 26 जून को कोचिंग सेंटर के अवैध संचालन के संबंध में प्रशासन को एक पत्र भेजा गया था लेकिन उस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय पर कार्रवाई की गई होती तो उन तीन लोगों की जान बचाई जा सकती थी। रिहायशी इलाकों में बेसमेंट में कई लाइब्रेरी चल रही हैं लेकिन पता नहीं क्यों नगर निगम बिल्कुल शांत है। कई मौजूदा कमिश्नरों की वहां संपत्ति है जो कड़वा सच है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है कि अखिर किस चीज ने अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोका है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दिल्ली के पटेल नगर, करोल बाग, राजेंद्र नगर में बहुत-सी बहुमंजिला इमारतें हैं। एक इमारत में करीब 50-60 छात्र रह रहे हैं। यहां तक कि बेसमेंट में भी छात्रों के पीजी चल रहे हैं। सरकार ने प्रत्येक इलाके में अवैध निर्माण रोकने के लिए नगर निगम का नुमाइंदा नियुक्त किया है लेकिन वे काम नहीं कर रहे हैं। फायर डिपार्टमेंट जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिला स्तर के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।

कुटुंब नामक संस्था की ओर से याचिका दायर कर मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी के गठन की मांग की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली में चल रहे कोचिंग संस्थानों के अनाधिकृत व्यावसायिक निर्माण और बिना किसी मानक के चलाए जाने की जांच को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया था कि विभागों के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की वजह से पिछले कुछ सालों में कई जानें चली गईं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button