अंसल ग्रुप पर गाजियाबाद ग्रेटर नोएडा में भी दर्ज हुआ मुकदमा

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद : अंसल ग्रुप के खिलाफ गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में मामला दर्ज होने से एक बार फिर रियल एस्टेट सेक्टर में प्रशासनिक सख्ती देखने को मिल रही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब तक शासन का दबाव नहीं आता या कोई बड़ी शिकायत नहीं होती, तब तक प्राधिकरण के अधिकारी क्यों कार्रवाई से बचते रहते हैं? यह स्थिति दर्शाती है कि या तो प्राधिकरण की ओर से डेवलपर्स को खुली छूट मिली हुई है, या फिर अधिकारी जानबूझकर अनदेखी करते हैं। जब तक निवेशकों और घर खरीदारों की आवाज़ शासन तक नहीं पहुंचती, तब तक कोई कदम नहीं उठाया जाता। अब जब मामला दर्ज हो चुका है, तो क्या यह केवल दिखावे की कार्रवाई है या वाकई में दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भृकुटी अंसल ग्रुप पर टेढ़ी होने और प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के बाद कुंभकर्णी निद्रा से जगे विकास प्राधिकरणों के वरिष्ठ अधिकारियों ने आनन फानन में अंसल ग्रुप के फाइलों पर जमी धूल को साफ़ करके पुनः अनियमितता देखी जिन्हें उन्हें सालों पहले देखना चाहिए था । लेकिन निजी स्वार्थ की पूर्ति और अनवरत पूरी होती इच्छाओं के साथ फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे अधिकारियों की तंद्रा अब टूटी है।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को अब दिखा अंसल की योजना में खामी
गाजियाबाद के डूंडाहेड़ा क्षेत्र में 152.89 एकड़ की चयनित इंटीग्रेटेड टाउनशिप परियोजना में अब फर्जीवाड़ा करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई है आखिर क्यों ? आखिर 22 साल से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों की कुंभकर्णी निद्रा क्यों नहीं टूटी । जबकि इस जिले कई जिलाधिकारी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष का पद धारण किए रहे। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आज अंसल ग्रुप पर जिन ईडब्लूएस फ्लैटों को लेकर प्राथमिकी दर्ज करवा रहा ऐसे बहुतेरे मामले और भी पड़े हैं लेकिन अधिकारियों की आँखें उन मामलों में क्यों नहीं टेढ़ी हुई यह भी देखना होगा । गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की तरफ से सहायक अभियंता जान प्रकाश द्विवेदी की तहरीर पर मामला दर्ज किया है। जिसमें 848 फ्लैट को जगह 160 फ्लैट बनाने और आरक्षित वर्ग के भूमि को फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचने और मानक के अनुरूप विकास कार्य नहीं करने के आरोप के साथ कंपनी निदेशक प्रणव अंसल, विकास यादव कंपनी के स्थानीय महाप्रबंधक अमित शुक्ला के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है। मामले में पुलिस प्रशासन और जीडीए के उच्च अधिकारी सवालों के जवाब में सतर्कता बरत रहे हैं। पुलिस साक्ष्य जुटाने की बात कर रही है जबकि जीडीए प्रशासन पुराने मामले की दुहाई देकर मामले पर बोलने से बच रहा है।
मुख्यमंत्री के अधीन विभाग फिर भी अधिकारी बेलगाम
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण हो या नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा अथवा यमुना विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार और निजी स्वार्थ की पूर्ति की परंपरा ने रियल स्टेट को अवैध धन उगाही का केंद्र बना रखा है। प्रदेश का हर बड़ा से बड़ा और छोटे से छोटा अधिकारी एनसीआर की विकास प्राधिकरण अथवा आवास विकास परिषद में नियुक्ति के लिए लालायित रहता है। ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैल रहे कॉलोनी के विस्तार सरकारी अधिकारियों और राजनताओं के लिए दुधारू भैंस साबित हो रहीं हैं। जिसका दूध सभी पीना चाहते हैं। पूर्वांचल से संबंध रखने वाले और सत्ता शासन में उच्च पदों के आशीर्वाद से जमे तथाकथित अधिकारियों की फ़ौज बेहतर तरीके से दूध और दूध की धार देखकर दिनों दिन अपना शारीरिक वजन बढ़ाने में लगे हैं। इसकी जानकारी सबको है लेकिन दूध ,दही और घी के उपहार से सभी लाभान्वित हो रहे हैं। स्वाद की लत लगने और अनवरत उपहार स्वरूप मिलने वाले स्वस्थ्य आहार से कुछ भी अनियमितता अथवा भ्रष्टाचार अब उनकी आंखे देखना ही नहीं चाह रही हैं। ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों की उदासीनता की पोल अब धीरे धीरे खुलने लगी है। अब न्यायालय खुद सीबीआई जांच जैसे आदेश दे रही है। अंसल ग्रुप पर योगी आदित्यनाथ की भृकुटी टेढ़ी होने के निहितार्थ अब सभी निकाल रहे हैं लेकिन केंद्रीय सत्ता और प्रदेश की सत्ता के आपसी द्वंद का परिणाम तो नहीं यह भी राजनीतिक हलकों में।चर्चा का विषय बना है।






