
जन एक्सप्रेस/देहरादून(उत्तराखण्ड) : देश के 22 राज्यों में बंदी रखे गए 1911 हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है। साथ ही, पूर्वोत्तर भारत में हाथियों की गणना हेतु 16,500 गोबर के नमूने इकट्ठा किए गए हैं। यह जानकारी देहरादून स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में आयोजित प्रोजेक्ट एलीफेंट की 21वीं संचालन समिति की बैठक में दी गई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की।
बैठक में मंत्री यादव ने हाथी संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को अत्यंत आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि वन्यजीव संरक्षण तभी सफल होगा, जब स्थानीय लोग उसके हिस्सेदार बनेंगे। उन्होंने मानव-हाथी संघर्ष को एक बड़ी चुनौती मानते हुए इसे सुलझाने के लिए रेलवे, विद्युत मंत्रालय, एनएचएआई और खनन विभागों के साथ साझा कार्ययोजना की वकालत की।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि 3452.4 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है और 77 ऐसे स्थानों की पहचान हुई है, जहां हाथियों के साथ दुर्घटनाओं की संभावना अधिक है। इन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने और संरचनात्मक उपायों की सिफारिश की गई है।
नीलगिरि हाथी रिजर्व के लिए एक मॉडल संरक्षण योजना पर कार्य जारी है, जिसे दिसंबर 2025 तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर भारत के लिए क्षेत्रीय कार्य योजनाएं भी तैयार कर ली गई हैं, जिनका उद्देश्य मानव-हाथी संघर्ष को कम करना है।
केंद्रीय मंत्री ने फ्रंटलाइन फॉरेस्ट स्टाफ के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संरक्षण कार्यों की सफलता उन्हीं पर निर्भर करती है, जो जमीन पर लगातार संघर्ष करते हैं।






