“जवानी बचाने की जिद में मौत – एंटी एजिंग दवाओं ने ली शेफाली जरीवाला की जान!”

ग्लैमर की दुनिया में ‘कांटा लगा’ फेम अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की संदिग्ध मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि शेफाली बीते कई वर्षों से एंटी एजिंग दवाइयों का सेवन कर रही थीं, जो आखिरकार उनकी मौत की वजह बनी। पुलिस ने उनके घर से भारी मात्रा में दवाइयां जब्त की हैं, जिनमें एंटी एजिंग टैबलेट्स, विटामिन सप्लीमेंट्स और गैस्ट्रिक दवाएं शामिल हैं।
जन एक्सप्रेस
आज का समाज एक खतरनाक भ्रम में जी रहा है – “बुढ़ापा बदसूरती है, और जवान रहना ही सुंदरता की पहचान।” इसी सोच की कीमत चुकाई है शेफाली जरीवाला ने, जो अपनी उम्र से लड़ने के लिए ज़िंदगी से ही हार गईं।
विज्ञान के नाम पर ज़हर: एंटी एजिंग दवाओं का बाजार अरबों डॉलर का हो चुका है। सोशल मीडिया पर ‘एवरयंग’ और ‘ग्लोइंग स्किन’ के नाम पर हर दिन हजारों प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैं। लेकिन क्या इनमें से किसी का प्रभाव स्थायी और सुरक्षित है? नहीं। कई विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक इन दवाओं का सेवन लीवर, किडनी और हार्मोनल सिस्टम को गहरा नुकसान पहुंचाता है।
सुंदरता का समाजिक दबाव: आज खासकर महिलाओं पर यह दबाव और भी अधिक है कि वे हमेशा युवा दिखें, चाहे इसके लिए उन्हें शरीर के साथ खिलवाड़ ही क्यों न करना पड़े। बॉलीवुड से लेकर आम सोशल मीडिया यूजर्स तक, हर कोई ‘एंटी एजिंग’ की दौड़ में भाग रहा है।
क्या मौत से जागेगा समाज?: शेफाली की मौत सिर्फ एक अभिनेत्री की मौत नहीं है। यह हमारे समाज, मीडिया और मार्केटिंग सिस्टम की एक करारी हार है जो हर व्यक्ति को परोक्ष रूप से कहता है – “बुढ़ापा शर्म की बात है।”
विशेषज्ञों की राय:
“बढ़ती उम्र कोई बीमारी नहीं है, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसका इलाज नहीं, स्वीकार करना ही सबसे बड़ा समाधान है।”
— डॉ. सुमेधा गुप्ता, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट
“लोग इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के सालों-साल लेते रहते हैं। शरीर पर इसका धीमा जहर धीरे-धीरे जान भी ले सकता है।”
— डॉ. प्रशांत वर्मा, फार्माकोलॉजिस्ट
आम जनता से सवाल:
1. क्या सोशल मीडिया का ‘फिल्टर कल्चर’ हमें खुद से नफरत करना सिखा रहा है?
2. क्या हम अपने बच्चों को ये सिखा रहे हैं कि बढ़ती उम्र छिपाने की चीज़ है?
3. क्या बाजार की मुनाफाखोरी के आगे हमारी ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं?
शेफाली की मौत हम सबके लिए एक चेतावनी है। जरूरी है कि हम सुंदरता की परिभाषा को फिर से गढ़ें। उम्र बढ़ना जीवन का हिस्सा है, न कि दोष। हमें बाजार के जाल से बाहर आकर यह समझना होगा कि “जवानी दिखाने की जिद, ज़िंदगी छीन सकती है।”
सरकार को एंटी एजिंग और सौंदर्यवर्धक दवाओं की बिक्री पर सख्ती से निगरानी रखनी चाहिए। बिना पंजीकरण या डॉक्टर की सलाह के इनका इस्तेमाल एक गंभीर अपराध समझा जाना चाहिए।








