धर्मशाला में अधर्म का अड्डा! मंदिरों पर ताले, धर्म की आड़ में धंधा आखिर कब जागेगा प्रशासन?
कभी धर्म की सेवा के लिए बना था गोहाई धर्मशाला, अब मुनाफाखोरों की मंडी में तब्दील! मंदिरों पर लटकते ताले, श्रद्धा पर भारी दबंगई – जिम्मेदार कौन?

जन एक्सप्रेस चित्रकूट मानिकपुर : मानिकपुर नगर पंचायत अंतर्गत स्थित गोहाई धर्मशाला, जो कभी श्रद्धालुओं और धार्मिक आयोजनों का पावन केंद्र हुआ करता था, आज अधर्म और अवैध कब्जों का अड्डा बन चुका है। धर्मशाला का पवित्र स्वरूप अब मुनाफाखोरी और दबंगई की भेंट चढ़ चुका है, जहां मंदिरों पर ताले लगे हैं और बाहर धड़ल्ले से दुकानें चल रही हैं।
क्या है मामला?
स्थानीय लोगों के अनुसार, गोहाई धर्मशाला की भूमि पूर्वजों (लंबरदारों) द्वारा धार्मिक उपयोग के लिए दान की गई थी। दस्तावेज़ों में आज भी यह जमीन उन्हीं के नाम दर्ज है, लेकिन कुछ दबंग किस्म के लोगों ने इस पवित्र स्थल को कब्जा कर वहाँ दुकानों की कतारें खड़ी कर दी हैं। यही नहीं, इन दुकानों से मोटी रकम वसूल कर निजी जेबें भरी जा रही हैं।
मंदिरों पर लगे हैं ताले!
धर्मशाला के अंदर मौजूद प्राचीन मंदिरों – जिनमें कभी पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन, और धार्मिक अनुष्ठान होते थे – आज तालेबंद हैं। श्रद्धालुओं का आना-जाना बंद, और उनके आस्था के केंद्रों को बंद करके दबंगों ने धर्म पर ताला जड़ दिया है।
जनता में आक्रोश, प्रशासन पर सवाल
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह धर्मशाला एक सार्वजनिक सम्पत्ति है और इसका उपयोग धार्मिक और सामाजिक हितों के लिए होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत मुनाफे के लिए। लोग मांग कर रहे हैं कि:धर्मशाला को तत्काल कब्जा मुक्त कराया जाए ,मंदिरों को फिर से पूजा-पाठ के लिए खोला जाए और पूरे स्थल को सरकारी संरक्षण में लेकर पुनः धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बनाया जाए
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
अब बड़ा सवाल ये है कि प्रशासन आखिर कब जागेगा? क्या धर्मशाला की पवित्रता लौटेगी? क्या मंदिरों से ताले हटेंगे? क्या दबंगों पर कार्रवाई होगी? या फिर ये पवित्र धरोहरें मुनाफाखोरी और कब्जे की भेंट चढ़ती रहेंगी? गोहाई धर्मशाला अब एक परीक्षा बन चुकी है प्रशासन की नीयत और कार्यशैली की। अगर जल्द कदम नहीं उठाया गया, तो भविष्य में धार्मिक स्थलों पर इस तरह का कब्जा आम बात हो जाएगी। जरूरत है एक सख्त कार्रवाई की, ताकि धर्म के नाम पर अधर्म न पनपे।






