हवन के साथ शुरू हुआ नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह
भारत का संसद भवन अब सिर्फ इतिहास में रह जाएगा क्योंकि 28 मई यानी आज नए संसद भवन का उद्घाटन होना है। कुछ ही समय में ये कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों द्वारा इस नए संसद भवन का उद्घाटन होगा, जिसके लिए खास और भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह की शुरुआत सुबह-सुबह हवन और सर्वधर्म प्रार्थना के साथ होगी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में औपचारिक उद्घाटन करेंगे।ये है पूरा शेड्यूल
नए संसद भवन का नया लुक जारी हो चुका है जिसमें नए संसद के एंट्री गेट से लेकर ऊपर लगा विशाल अशोक स्तंभ तक सभी नजर आ रहा है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह की शुरुआत सुबह 7.30 बजे से हवन और पूजन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस पूजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा डिप्टी चेयरमैन समेत कई मंत्री मौजूद है। इस पूजा को गांधी मूर्ति के पास किया जा रहा है, जिसके लिए खास पंडाल भी बना है। पूजन विधि संपन्न होने के बाद सुबह 8.30 बजे से नौ बजे तक लोकसभा के अंदर सेंगोल को वैदिक रीति रिवाज से स्थापित हुआ। इस सेंगोल की स्थापना के लिए खासतौर से तमिलनाडु के मठ से 20 स्वामी उपस्थित हैं। सेंगोल की स्थापना के बाद 9 से 9.30 बजे तक प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ, जिसमें शंकराचार्य सहित कई बड़े विद्वान पंडित और साधु संतों ने हिस्सा लिया। माना जा रहा है कि इस दौरान शिव और आदि शंकराचार्य की भी पूजा होगी।
इस कार्यक्रम का दूसरा चरण दोपहर 12 बजे से शुरू किया जाएगा। इसकी शुरुआत राष्ट्रगान से होगी। इस दौरान दो शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। राज्यसभा के सभापति राष्ट्रपति का संदेश पढ़ेंगे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी अपना संबोधन इस दौरान पेश करेंगे। बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे इस्तीफा दे चुके हैं मगर उनका इस्तीफा अब तक मंजूर नहीं किया गया है और वो पद पर बने हुए है। वहीं अब तक ये तय नहीं है कि मल्लिकार्जुन खड़गे संबोधन देंगे या नहीं क्योंकि कांग्रेस ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। इसके साथ ही कार्यक्रम अपने अंतिम चरण में पहुंच जाएगा।
सिक्का होगा जारी
बता दें कि इस दौरान एक खास सिक्का जारी किया जाएगा जो कि 75 रुपये का है। इसके साथ ही स्टांप भी जारी होगी। इन सभी कार्यक्रमों के होने के बाद कार्यक्रम का अंत होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन होगा। इस संबोधन के साथ ही वो नई संसद का उद्घाटन करेंगे। संभावना है कि ये कार्यक्रम दोपहर 2 से ढ़ाई बजे तक जारी रहेगा।
लगाया जाएगा सेंगोल
चेन्नई में तिरुवदुथुरै आदिनाम के अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने बताया कि सेंगोल जो लंबे समय तक लोगों की निगाहों से दूर था, अब संसद में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि दुनिया उसे देख सके। सेंगोल को सौंपे जाने के प्रमाण के संबंध में आदिनाम ने बताया कि 1947 में अखबारों और पत्रिकाओं में छपी तस्वीरें व खबरों सहित इसके कई प्रमाण हैं। परमाचार्य स्वामी ने कहा, ‘‘यह दावा करना कि सेंगोल भेंट नहीं किया गया था, गलत है। सेंगोल के संबंध में ‘गलत सूचना’ के प्रसार से तकलीफ हुई है।’’
नए संसद भवन में देश भर से लाई सामग्री हुई उपयोग
नये संसद भवन में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की कालीन, त्रिपुरा के बांस से बने फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी की गई है जो पूर्ण रूप से भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। इस नए संसद भवन में महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया है। वहीं राजस्थान के सरमथुरा से लाल और सफेद बलुआ पत्थर लाया गया था। केशरिया हरा पत्थर उदयपुर से, अजमेर के निकट लाखा से लाल ग्रेनाइट और सफेद संगमरमर अंबाजी राजस्थान से मंगवाया गया है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एक तरह से लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए पूरा देश एक साथ आया, इस प्रकार यह ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची’ भावना को दर्शाता है।’’ लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में ‘फाल्स सीलिंग’ के लिए स्टील की संरचना केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाई गई है, जबकि नये भवन के लिए फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था। इमारत पर लगे पत्थर की ‘जाली’ राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा से मंगवाई गई थी। अशोक चिह्न के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से लाई गई थी, जबकि संसद भवन के बाहरी हिस्सों में लगी सामग्री को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था। पत्थर की नक्काशी का काम आबूरोड और उदयपुर के मूर्तिकारों द्वारा किया गया था और पत्थरों को कोटपूतली, राजस्थान से लाया गया था। नये संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए ठोस मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा में चरखी दादरी से निर्मित रेत या ‘एम-रेत’ का इस्तेमाल किया गया था। ‘एम रेत’ कृत्रिम रेत का एक रूप है, जिसे बड़े सख्त पत्थरों या ग्रेनाइट को बारीक कणों में तोड़ कर निर्मित किया जाता है जो नदी की रेत से अलग होता है। निर्माण में इस्तेमाल की गई ‘फ्लाई ऐश’ की ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगवाई गई थी, जबकि पीतल के काम लिए सामग्री और ‘पहले से तैयार सांचे’ गुजरात के अहमदाबाद से लिये गये।
ट्रैफिक एडवाइजरी भी हुई जारी
नए संसद भवन उद्घाटन के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में विशेष यातायात व्यवस्था की गई है। पुलिस द्वारा जारी किए गए यातायात परामर्श के अनुसार नई दिल्ली जिले को नियंत्रित क्षेत्र माना जाएगा। इसके अनुसार सिर्फ केवल सार्वजनिक परिवहन वाहनों, संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षार्थियों, क्षेत्र के निवासियों, लेबल वाले वाहनों और आपातकालीन वाहनों को नई दिल्ली क्षेत्र में जाने की अनुमति होगी। परामर्श के मुताबिक, “मदर टेरेसा क्रीसेंट रोड, तालकटोरा गोल चक्कर, बाबा खड़क सिंह मार्ग, गोल डाकखाना गोल चक्कर, अशोक रोड, पटेल चौक गोल चक्कर, अशोक रोड, विंडसर प्लेस गोल चक्कर, जनपथ, एमएलएनपी गोल चक्कर, अकबर रोड, गोल मेथी गोल चक्कर, जीकेपी गोल चक्कर, तीन मूर्ति मार्ग, तीन मूर्ति गोल चक्कर और मदर टेरेसा क्रिसेंट रोड को विनियमित क्षेत्र माना जाएगा।” इसमें कहा गया है कि केवल यूपीएससी के उम्मीदवारों, इन इलाकों के वास्तविक निवासियों, लेबल वाले वाहनों और आपातकालीन वाहनों को इस क्षेत्र के भीतर आने-जाने की अनुमति होगी।
उद्घाटन समारोह में कई वीवीआईपी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली यातायात पुलिस ने लोगों से अपनी यात्रा की योजना उसी के अनुसार बनाने और 28 मई को नई दिल्ली जिले में सुबह साढ़े पांच बजे से अपराह्न तीन बजे तक जाने से बचने का आग्रह किया।