उत्तराखंड

वन क्षेत्रों का वैज्ञानिक प्रबंधन करेगी राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता 2023

देहरादून । भारत दुनिया के कुछ उन देशों में शामिल है जहां वन प्रबंधन की वैज्ञानिक व्यवस्था है। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन और समय के साथ समय प्रबंधन में नये दृष्टिकोण अपनाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता 2023 जारी किया है।

इस योजना को भारतीय वानिकी अनुसंधान शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के आयोजित विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के अवसर पर चंद्र प्रकाश गोयल वन महानिदेशक विशेष सचिव पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शनिवार को देहरादून में जारी किया। यह कार्य योजना केवल मुख्य साधन है, जिसके माध्यम से भारत वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन में जुटा हुआ है। राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता जिसे पहली बार 2004 में अपनाया गया था और 2014 में संशोधित किया गया था। इस योजना के माध्यम से विभिन्न वन प्रभागों के वैज्ञानिक प्रबंधन में एकरूपता आई और योजना ने मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य किया।

भारत में वनों का प्रबंधन कई कारणों से किया जा रहा है, जिनमें पर्यावरण स्थिरता बनाए रखना, प्राकृतिक विरासत संरक्षित करना, जल ग्रहण क्षेत्रों में मिट्टी कटाव रोकना और पेड़ों को नष्ट होने से बचाना प्रमुख कारणों में शामिल है। बालू के टीले का विस्तार रोकना, वृक्ष और वन आवरण को बढ़ाना, उत्पादकता में बढ़ोतरी करना जैसे कारण प्रमुख है।

राष्ट्रीय योजना से कार्य योजना तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं नहीं हैं। एफआरआई की दी गई जानकारी के अनुसार पहली बार राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता 2023 में राज्य के लिए वन विभागों का आकंड़ा संग्रहित करना और केंद्रीय डेटाबेस को अद्यतन करना शामिल है।वन विभाग के अनुसार भारतीय वन प्रबंधन मानक पारिस्थितिक तंत्र को ध्यान में रखकर एकरूपता लाने की कोशिश करता है।

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