सिविल सेवा में उत्तराखंड से अधिक बच्चों को निकालने पर करें फोकस: राज्यपाल
देहरादून । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि उत्तराखंड में प्रतिभावान बच्चे हैं लेकिन संसाधन के अभाव में अपने आप को निखार नहीं पाते हैं। यही कारण है कि सिविल सेवाओं में राज्य के बच्चे कम निकल रहे हैं। अधिक से अधिक छात्र-छात्राएं उत्तीर्ण हों, इसके लिए उन्हें उचित मार्गदर्शन और तैयारी पर फोकस करने की जरूरत है।
राज्यपाल ने शुक्रवार को राजभवन में तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और अन्य अधिकारियों के साथ कोचिंग सेंटर के संबंध में बैठक की। इस दौरान राज्यपाल ने विवि के तीनों कुलपतियों को इन सेंटरों के प्रारंभ व संचालन के लिए आवश्यक तैयारियां और व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से कोचिंग सेंटर प्रारंभ किया जाना है इसके लिए जो भी कार्य किया जाना है, उसे समय रहते पूरा कर लें। उन्होंने कोचिंग सेंटर में प्रवेश के लिए परीक्षा, शुल्क इत्यादि का निर्धारण, विशेषज्ञ शिक्षकों की व्यवस्था सहित अन्य तैयारियों को योजनाबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने को कहा।
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड से संघ लोक सेवा आयोग में बहुत कम संख्या में बच्चे उत्तीर्ण हो रहे हैं। उत्तराखंड अपने आप में शिक्षा और अध्ययन का केंद्र रहा है। हमें 15-20 बच्चों के सिविल सेवा में निकलने से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमारे यहां बेहद प्रतिभावान छात्र-छात्राएं है लेकिन वे संसाधनों और अन्य कारणों से इन परीक्षाओं में प्रतिभाग नहीं कर पाते हैं। इसको देखते हुए ऐसे प्रतिभावान और सिविल सेवाओं में रूचि रखने वाले बच्चों के लिए तीन विश्वविद्यालयों में कोचिंग सेंटर खोलने का निर्णय लिया गया है। इन सेंटरों में बच्चों के लिए बेहद रियायती शुल्क में उन्हें तैयारी कराई जाएगी। सेंटरों में विषय विशेषज्ञ अध्यापक छात्रों की कक्षाएं लेंगे। इसके साथ-साथ सेंटरों में छात्रों को तैयारी के लिए देश में अग्रणी श्रेणी के संस्थानों के विशेषज्ञों की सहायता ली जाएगी।
आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को मिलेगी वरियता
संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी के लिए उत्तराखंड के तीन विश्वविद्यालयों में कोचिंग सेंटर शुरू किए जा रहे हैं। इन कोचिंग सेंटरों में छात्रों से सिविल सेवा की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करायी जाएगी। जिसमें लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को वरीयता दी जाएगी।