विश्व ही नहीं पृथ्वी का भी प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ
जन एक्सप्रेस/कानपुर
पुराणों के अनुसार शिव की महत्ता अनादी काल से इस संसार के लिए अबूझ है। जिस प्रकार इस सारे ब्रह्माण्ड का न कोई अंत है और न ही कोई आरंभ है।त्रिकाल दृष्टा प्रभु शिव का न ही कोई आरम्भ है और न ही अंत है शिवपुराण के अनुसार देवो के देव महादेव जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को विश्व ही नहीं पृथ्वी का प्रथम शिवलिंग होने का गौरव प्राप्त है
भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में अरब सागर के तट पर स्थित गुजरात के सौराष्ट्र के वेरावल के पास प्रभास पाटन में विश्वप्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा ही निराली है। यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है और इसका उल्लेख स्कंदपुराणम,श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है। वहीं ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है।हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार देवो के देव महादेव अजन्मे है, अनंत है। शास्त्रों एवं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महादेव जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है शिवपुराण के अनुसार दक्षप्रजापति के श्राप से बचने के लिए, सोमदेव (चंद्रदेव) ने भगवान शिव की आराधना की। अंततः शिव प्रसन्न हुए और सोम(चंद्र) के श्राप का निवारण किया। सोम के कष्ट को दूर करने वाले प्रभु शिव की यहाँ पर स्थापना स्वयं सोमदेव ने की थी ! इसी कारण इस तीर्थ का नाम ”सोमनाथ”पड़ा।सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शनों का विशेष महत्व है इसके दर्शन, पूजन, आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप और दुष्कृत्यु विनष्ट हो जाते हैं। वे भगवान् शिव और माता पार्वती की अक्षय कृपा का पात्र बन जाते हैं। मोक्ष का मार्ग उनके लिए सहज ही सुलभ हो जाता है। उनके लौकिक-पारलौकिक सारे कृत्य स्वयंमेव सफल हो जाते हैं।मनुष्य सभी पापों से मुक्त होता है और अभीष्ट फल प्राप्त करता है। सोमनाथ की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा करने के तुल्य पुण्य मिलता है। यह स्थान पशुपत मत के शैवों का केंद्र स्थल भी है
- सोमनाथ मंदिर वास्तुकला चालुक्य शैली (जिसे कैलाश महामेरु प्रसाद के नाम से भी जाना जाता है) को दर्शाता है।
बाण स्तम्भ या तीर वाला स्तंभ मुख्य मंदिर परिसर का एक हिस्सा है। तीर दक्षिणी ध्रुव की ओर इशारा करता है, जिससे यह पता चलता है कि मंदिर और अंटार्कटिका के बीच कोई भूभाग नहीं है। पानी के माध्यम से दक्षिणी ध्रुव की ओर जाने वाले मार्ग को अबादित समुद्र मार्ग कहा जाता है, जिसका अर्थ है एक ऐसा मार्ग जहाँ कोई रुकावट नहीं है।
यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में विभाजित है
मुख्य मंदिर संरचना में (गर्भगृह) है जिसमें ज्योतिर्लिंग, सभा मंडपम और नृत्य मंडपम हैं। मुख्य शिखर या मीनार 150 फीट की ऊंचाई पर है। शिखर के ऊपर कलश है जिसका वजन लगभग 10 टन है। और ध्वजदंड (झंडा खंभा) 27 फीट ऊंचा और 1 फुट परिधि में है।
सोमनाथ मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद, शिव पुराण, स्कंद पुराण और श्रीमद भागवत में मिलता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मूल मंदिर कितना पुराना था।
यह मन्दिर हिन्दू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यन्त वैभवशाली होने के कारण इतिहास में सोमनाथ मंदिर विदेशी आक्रांताओं द्वारा सत्रह बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।
ऐतिहासिक लूट और पुनर्निर्माण की कहानी लिए गुजरात का सोमनाथ मंदिर हमेशा से विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।
यह जगह केवल मंदिर के लिए नहीं बल्कि अन्य पर्यटन केंद्रों के लिए भी विश्वविख्यात है।
यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहाँ श्राद्ध करने का विशेष महत्त्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहाँ श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहाँ तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्त्व है।
विशेष है आरती
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में आरती शब्दों में नहीं गाई जाती, यह आरती शंख, नगाड़े, शहनाई एवं घंटियों की ध्वनि के साथ होती है, इसमें शब्द नहीं होते सिर्फ संगीत होता है। कर्णप्रिय आरती की ध्वनि, दीयों की रौशनी, वातावरण में फैली गुगल की खुशबू, भक्ति से सराबोर जनमानस और भगवान भोलेनाथ का दिव्य ज्योतिर्लिंग स्वर्गलोक का वातावरण उत्पन्न कर देता है।
“आरती के समय : सुबह 6 बजे, दोपहर को 12 बजे और शाम को 7 बजे।”
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचें?
- वायु मार्ग-
सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है।
- रेल मार्ग-
सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहाँ से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है।
- सड़क परिवहन-
सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, मुंबई 889 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
यहां स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए होटल ,गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।
– डॉ रचना सिंह”रश्मि”
स्वतंत्र स्तंभकार