दिल्ली/एनसीआर

सेबी ने अडानी-हिंडनबर्ग जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिनों का समय मांगा

नई दिल्ली । सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अडानी-हिंडनबर्ग जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक यह रिपोर्ट आज यानी 14 अगस्त तक दाखिल होनी थी। सुप्रीम कोर्ट में मामला 29 अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्टेड है।

सेबी ने कहा है कि अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जांच में खासी प्रगति हुई है। एक मामले में अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। उसे दूसरे देशों के रेगुलेटर्स से कुछ जानकारियां चाहिए। विदेशी रेगुलेटर्स से जानकारी मिलने पर ही वे आगे की रणनीति तय करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त तक का समय देकर जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सेबी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि सेबी की तरफ से जो जांच चल रही है, उसका स्टेटस क्या है। तब मेहता ने मामले की सुनवाई टालने की मांग करते हुए कहा था कि 10 जुलाई की शाम को हमने जवाब ई-फाइलिंग के तहत दाखिल किया है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि सेबी सभी पक्षों को जवाब की कॉपी उपलब्ध कराए।

प्रशांत भूषण ने कहा था कि कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक सेबी की जांच फेल है। सेबी किसी सकारात्मक नतीजे तक नहीं पहुंच सकती। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता की उस दलील को नकार दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि कमेटी को एजेंसी सपोर्ट नहीं कर रही है। उन्होंने कहा था कि हमने 14 अगस्त तक जांच पूरी करने के का समय सेबी को दिया है। ऐसे में जांच रिपोर्ट को आने दे। चीफ जस्टिस ने कहा था कि हमें भी सेबी का दाखिल हलफनामा पढ़ने के लिए भी समय चाहिए। बिना जवाब पढ़े सुनवाई उचित नहीं होगा।

 

सेबी ने 10 जुलाई को अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंप दी थी। सेबी ने कहा था कि प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन करने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है, ताकि बाजार में पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। सेबी ने कहा था कि विशेषज्ञ कमेटी ने सिफारिश की है कि एक मजबूत और सभी को स्वीकार्य नीति बनाई जाए, जो इस बात का फैसला करे कि किसी समझौते में किसी नियम का उल्लंघन तो नहीं किया गया।

अडानी-हिंडनबर्ग मामले में गठित विशेषज्ञ समिति ने 19 मई को सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अभी तक सेबी की सफाई और उपलब्ध डेटा के आधार पर कमेटी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंच पाना संभव नहीं होगा कि मौजूदा नियामक तंत्र (सेबी) की विफलता रही है। कमेटी ने कहा था कि सेबी की तरफ से की जा रही जांच अभी जारी है।

कमेटी ने कहा कि अभी तक की जांच में सेबी को अडानी ग्रुप के खिलाफ केस नजर नहीं आ रहा है। हालांकि अडानी से जुड़ी 13 विदेशी संस्थाओं पर पूरी रिपोर्ट मिलनी अभी बाकी है। 2018 में नियमों में हुए बदलाव से विदेशों से जानकारी जुटाने में सेबी को समस्या आ रही है। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी को अपने आंतरिक सिस्टम से अडानी पर चार रिपोर्ट मिली है।

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