बिहार

मनरेगा में आधार आधारित भुगतान प्रणाली से वास्तविक लाभार्थियों को मिलेगा लाभ

बेगूसराय । महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के वास्तविक लाभार्थियों को लाभ दिलाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) जैसी बड़ी पहल की है। एबीपीएस एक फरवरी से ही लागू है, लेकिन 31 अगस्त के बाद देश के सभी मनरेगा मजदूरों को सिर्फ इसी प्रणाली से भुगतान किया जाएगा।

केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि किसी भी मनरेगा श्रमिक को एबीपीएस के कारण मजदूरी भुगतान से इनकार नहीं किया गया है। इससे लाभार्थियों को मजदूरी का समय पर भुगतान होगा। लाभार्थियों द्वारा बैंक खाता बदलने तथा बाद में कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा अद्यतन नहीं करने के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली अपनाया गया है।

आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) बैंक खाते में बदलाव के कारण प्रभावित नहीं होती है। यह भी सुनिश्चित होगा कि केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिले, वर्तमान लाभार्थियों का डी-डुप्लीकेशन किया जाएगा। इसके लिए आधार आधारित भुगतान प्रणाली सबसे अच्छा विकल्प है। मनरेगा में एबीपीएस को एक फरवरी से अनिवार्य कर दिया गया है।

लेकिन कई राज्यों द्वारा अनुरोध करने पर 31 अगस्त 2023 तक लाभार्थियों को भुगतान लाभार्थी की एबीपीएस की स्थिति के आधार पर एबीपीएस या एनएसीएच मोड का उपयोग करके किया जा रहा है। यदि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को एबीपीएस के संबंध में किसी भी प्रकार के मुद्दों या समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो उन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाता है।

राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों में मनरेगा के कार्यान्वयन में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी कार्यों के लिए राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) ऐप के माध्यम से एक दिन में श्रमिकों की जियो-टैग, दो टाइम-स्टैम्प्ड तस्वीरों के साथ उपस्थिति दर्ज करना (व्यक्तिगत लाभार्थीपरक कार्यों को छोड़कर) एक जनवरी से ही अनिवार्य कर दिया गया है।

इससे भुगतान की तीव्र प्रक्रिया को सक्षम बनाने के अतिरिक्त योजना की नागरिक निगरानी भी बढ़ती है। कार्यस्थल पर्यवेक्षक एनएमएमएस ऐप के माध्यम से श्रमिकों की जियो-टैग की गई तस्वीरों के साथ उपस्थिति दर्ज करने के लिए जिम्मेदार हैं। एनएमएमएस ऐप में आने वाले तकनीकी मुद्दों को वास्तविक समय के आधार पर एनआईसी ग्रामीण विकास के साथ उठाया जाता है। ऐप से संबंधित सभी मुद्दों की समय पर समीक्षा और समाधान किया जाता है।

उपस्थिति और पहली तस्वीर अपलोड करने के चार घंटे बाद ही दूसरी तस्वीर लेने के लिए एनएमएमएस ऐप को संशोधित किया गया है। पहली और दूसरी तस्वीर के साथ सुबह की उपस्थिति को ऑफलाइन मोड में कैप्चर किया जा सकता है तथा नेटवर्क आने के बाद अपलोड किया जा सकता है। जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) को मैन्युअल उपस्थिति अपलोड करने के लिए अधिकृत किया गया है।

उन्होंने बताया कि आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) से 28 जुलाई तक बिहार के 71 लाख 20 हजार, आंध्र प्रदेश के 93 लाख 44 हजार, अरुणाचल प्रदेश के एक लाख 92 हजार, असम के 23 लाख 47 हजार, छत्तीसगढ के 57 लाख नौ हजार, गोवा के छह हजार, गुजरात के 21 लाख 94 हजार, हरियाणा सात लाख 68 हजार, हिमाचल प्रदेश के 12 लाख 30 हजार एवं जम्मू-कश्मीर के 11 लाख 12 हजार श्रमिकों को जोड़ा गया है।

इसी प्रकार झारखंड के 33 लाख चार हजार, कर्नाटक के 74 लाख 99 हजार, केरल के 24 लाख 25 हजार, लद्दाख के 36 हजार , मध्य प्रदेश के 88 लाख 34 हजार, महाराष्ट्र के 48 लाख 51 हजार, मणिपुर के चार लाख 17 हजार, मेघालय के 28 हजार, मिजोरम के एक लाख 73 हजार, नगालैंड के एक लाख 26 हजार, ओडिशा के 57 लाख 45 हजार, पंजाब के 12.55 एवं राजस्थान के 113 लाख 23 हजार श्रमिकों को जोड़ा गया है।

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