जिलाधिकारी के आदेश पर भ्रष्टाचार में लिप्त SDO व ऑपरेटर पर कार्रवाई
कनेक्शन व बिल संशोधन के नाम पर करोड़ों का चूना लगाने वाले संविदा ऑपरेटर मुकेश पाल का खुलासा, फिर भी प्रशासनिक कार्रवाई अधूरी

बांदा/जन एक्सप्रेस। शहर के विद्युत विभाग (पीली कोठी सब स्टेशन) में लंबे समय से जमे भ्रष्टाचार के दलदल में धंसे एसडीओ आशीष कुमार और संविदा लाइनमैन कंप्यूटर ऑपरेटर मुकेश पाल की पोल एक बार फिर खुल गई है। जिलाधिकारी जे. रिभा के निर्देश पर अधिशासी अभियंता ने दोनों पर कार्रवाई करते हुए ट्रांसफर का आदेश जारी किया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि दोनों अब भी वहीं डटे हुए हैं और भ्रष्टाचार का सिलसिला थमा नहीं है।
पहले भी हो चुकी थी शिकायत, जांच में एसडीओ ने बचाया ‘कमाऊ पूत’
बबेरू निवासी अमित कुमार ने मुकेश पाल द्वारा नए कनेक्शन के नाम पर ₹5000 की रिश्वत मांगने की शिकायत जिलाधिकारी से की थी। जांच में दोनों दोषी पाए गए। हैरत की बात यह है कि इससे पहले भी तत्कालीन जिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को भ्रष्टाचार की शिकायत दी जा चुकी थी, लेकिन जांच की जिम्मेदारी खुद एसडीओ को ही सौंप दी गई, जिन्होंने अपने “चहेते” मुकेश पाल को निर्दोष बताकर केस को रफा-दफा कर दिया।
सात सालों में विभाग को लगा करोड़ों का चूना, खुद बनाई लाखों की संपत्ति
मुकेश पाल ने बीते 7 वर्षों में विभागीय प्रणाली का जमकर दुरुपयोग किया। बिजली बिल कम करने और नए कनेक्शन दिलाने के नाम पर जनता से अवैध वसूली कर विभाग को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। बदले में खुद लाखों की निजी संपत्ति बना ली।
कार्रवाई के बावजूद नहीं छोड़ी कुर्सी, नियमों की उड़ रही धज्जियां
जिलाधिकारी के स्पष्ट आदेश के बावजूद एसडीओ और संविदा ऑपरेटर अब भी पीली कोठी सब स्टेशन में जमे हुए हैं। न कोई निलंबन, न कोई सेवा समाप्ति — सिर्फ “ट्रांसफर” की खानापूर्ति। इससे यह सवाल उठता है कि क्या भ्रष्टाचारी इतने प्रभावशाली हो चुके हैं कि प्रशासन भी लाचार हो गया है?
अब बड़े सवाल यह हैं:
क्या जिलाधिकारी इन दोनों की संपत्ति की जांच करवाकर उसे जब्त करेंगी? क्या सिर्फ ट्रांसफर से भ्रष्टाचार रुक जाएगा? क्या इसी तरह भ्रष्टाचारी सिस्टम की नाक के नीचे जमे रहेंगे?






