उत्तराखंडदेहरादून

अपात्र कार्डधारकों पर प्रशासन की सख्त नजर

राशन व आयुष्मान कार्ड का होगा घर-घर सत्यापन

जन एक्सप्रेस/देहरादून(उत्तराखण्ड) : मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों के अनुपालन में जिला प्रशासन ने फर्जी राशन और आयुष्मान कार्ड धारकों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में प्रशासन ने जिले में पात्रता की व्यापक जांच हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया है। अब अपात्र लाभार्थियों की पहचान कर उनके कार्ड निरस्त किए जाएंगे।

जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) से जिले में जारी आयुष्मान कार्ड धारकों की 15 दिवस के भीतर सत्यापन रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, जिला पूर्ति अधिकारी (डीएसओ) को निर्देश दिए गए हैं कि वे जिले में निवासरत समस्त राशन कार्ड धारकों का विवरण सीएमओ को उपलब्ध कराएं।

डीएम ने कहा कि घर-घर जाकर टीमों के माध्यम से क्षेत्रवार राशन कार्डों का सत्यापन कराया जाएगा। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं होगी, उनके कार्ड निरस्त किए जाएंगे। डीएम ने विशेष रूप से यह स्पष्ट किया कि राशन कार्ड के लिए आवेदन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की जांच अनिवार्य रूप से की जाएगी।

प्रशासन को विभिन्न स्रोतों से यह शिकायतें प्राप्त हुई थीं कि कई अपात्र लोग राशन कार्ड और उसके माध्यम से आयुष्मान कार्ड का लाभ उठा रहे हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए यह अभियान चलाया जा रहा है।

जिले में कुल 3,87,954 राशन कार्ड धारक हैं, जिनमें अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत 37,312 कार्ड, प्राथमिक परिवारों के 2,19,827 कार्ड, उत्तराखंड राज्य खाद्य योजना के 1,30,815 कार्ड शामिल हैं।

इनमें से अब तक मात्र 35,393 कार्डों का ही सत्यापन हो पाया है, जबकि 1,445 कार्ड निरस्त किए जा चुके हैं।

पात्रता मानक :

सरकार द्वारा निर्धारित योजनाओं के अंतर्गत पात्रता इस प्रकार तय की गई है :

  • अंत्योदय योजना: वार्षिक आय 15,000 रुपए तक
  • राष्ट्रीय खाद्य योजना: वार्षिक आय 1.80 लाख रुपए तक
  • राज्य खाद्य योजना: वार्षिक आय 5 लाख रुपए से कम

इसके अतिरिक्त लगभग 4,000 कार्ड आधार अपडेट न होने के कारण लम्बित हैं। ऐसे लाभार्थियों से अपील की गई है कि वे अपने संबंधित राशन डीलर के पास जाकर अपने दस्तावेज अपडेट करवाएं, ताकि उन्हें लाभ मिलना जारी रह सके।

मुख्यमंत्री के निर्देश :

मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं लोगों को दिया जाए, जो वास्तव में पात्र हैं। इस अभियान का उद्देश्य अपात्रों को बाहर कर जरूरतमंदों तक योजनाओं का सीधा लाभ पहुँचाना है।

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