राजनीति के जादूगर बन अशोक गहलोत ने कई दिग्गजों को पछाड़ा
भारतीय राजनीति में अशोक गहलोत का नाम दिग्गज नेताओं की लिस्ट में शामिल है। अशोक गहलोत राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। बता दें कि वह कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। आज यानी की 3 मई को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। राजनीति में अपना भविष्य देखने वाले युवाओं के लिए अशोक गहलोत का राजनैतिक सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है। शोक गहलोत ने भी राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन की थी। जन्म और शिक्षा
राजस्थान के जोधपुर में 3 मई 1951 को अशोक गहलोत का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह और माता का नाम सेवा देवी गहलोत है। बता दें कि अशोक गहलोत के पिता एक फेमस जादूगर हुआ करते थे। जो देश में घूम-घूमकर जादू दिखाया करते थे। जब अशोक गहलोत छोटे थे तो वह भी अपने पिता के साथ जाया करते थे और पिता की तरह ही जादू दिखाया करते थे। इसीलिए शायद अशोक गहलोत को राजनीति का भी जादूगर कहा जाता है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर से अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में यूजी और अर्थशास्त्र विषय में पीजी किया है।
छात्र जीवन से राजनीति की शुरूआत
बता दें कि अशोक गहलोत ने राजनीति की शुरूआत अपने छात्र जीवन से की। उस दौरान उन्होंने सचिव के पद पर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उसमें उनको हार का सामना करना पड़ा था। विद्यार्थी जीवन से ही अशोक गहलोत राजनीति और समाजसेवा के कार्यों में सक्रिय रहे। उन्होंने कॉलेज की दिनों में NSUI ज्वॉइन की और छात्र हित में कई काम भी किए। अपने काम से लोगों को प्रभावित करने वाले गहलोत साल 1973 से 1979 तक राजस्थान NSUI के अध्यक्ष पद पर भी रहे।
इसके बाद वह साल 1979 से 1982 तक जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। इसके बाद गहलोत का सफर लगातार बढ़ता चला गया। साल 1982 में वह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी महासचिव तो वहीं इसके बाद गहलोत तीन बार राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए। पहली बार महज 34 साल की उम्र में ही राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन गए थे। इसके अलावा साल 2004 के बाद उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में आमंत्रित सदस्य और महासचिव के तौर पर भी कार्य किया है।
ऐसे बदली अशोक गहलोत की किस्मत
NSUI में रहते हुए साल 1971 में गहलोत ने बांग्लादेश युद्ध के दौरान पश्चिम बंगाल के जिलों में शरणार्थी शिविरों में लोगों की जमकर सेवा की। इसी दौरान उनकी मुलाकात पूर्व पीएम इंदिरा गांधी से हुई। इंदिरा गांधी ने अशोक गहलोत के कौशल को पहचानते हुए उन्हें NSUI का प्रेसीडेंट बना दिया। इसके बाद अशोक गहलोत का राजनीति के शानदार सफर की शुरूआत हुई। 26 वर्ष की आयु में अशोक गहलोत ने पहली बार चुनाव सरदारपुरा सीट से लड़ा था। बताया तो यह भी जाता है कि अशोक गहलोत ने चुनाव लड़ने के लिए अपनी बाइक तक को 4 हजार रुपए में बेच दिया था।
हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन संजय गांधी से उनकी अच्छी दोस्ती होने के चलते साल 1980 में अशोक गहलोत को जोधपुर लोकसभा से टिकट मिला। यहां पर उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। हालांकि इस बार भी गहलोत के पास धन का अभाव था। ऐसे में गहलोत ने अपने दोस्त की सैलून की दुकान में ऑफिस खोला और दोस्त की बाइक से वह चुनाव प्रचार के लिए जाया करते थे।
जोधपुर से इतनी बार रहे सांसद
साल 1980 में अशोक गहलोत ने 7वीं लोकसभा में जोधपुर सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बनें। इसके बाद वह चार बार साल 1984, 1991, 1996 और 1998 जोधपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। वहीं साल 1999 में गहलोत ने 11वीं विधानसभा के लिए जोधपुर जिले के ही सरदारपुरा से विधायक के चुनाव में भी जीत हासिल की। इसके बाद वह लगातार 4 बार विधायक रहे। बता दें कि चौथी बार यानी की 15वीं 15वीं विधानसभा में साल 1998 में अशोक गहलोत पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने।
केन्द्रीय मंत्री
पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी और पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रिमण्डल में अशोक गहलोत ने केन्द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया है। वह तीन बार केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। सबसे पहले वह पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देश के पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री और फिर खेल उपमंत्री बनें। इसके बाद उनको केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया गया। फिर साल 1984 से 1985 तक गहलोत केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री रहे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री पद तक सफर
सबसे पहले साल 1998 से लेकर 2013 तक अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। इस दौरान राजस्थान में भयंकर अकाल पड़ा था। इस दौरान उनके बेहतरीन काम ने जनता का दिल जीत लिया। बता दें कि इसी दौरान सीएम अशोक गहलोत ने पानी बचाओ, बिजली बचाओ और सबको पढ़ाओ का नारा दिया था। इसके बाद साल 2008 में वह दूसरी बार राज्य के सीएम बनें।