
जन एक्सप्रेस नैनीताल। जिला पंचायत चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को नैनीताल जिले में करारी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी ने जिन 23 सीटों पर अपने समर्थित प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था, उनमें से केवल 5 सीटें ही भाजपा के खाते में आईं, जबकि 4 सीटों पर बागी प्रत्याशी और 15 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी। रामनगर की तीन सीटों पर मतगणना जारी है।
पार्टी के बड़े नेताओं—मंत्री, विधायक और दायित्वधारियों—की जी-तोड़ मेहनत के बावजूद वे पार्टी की साख बचाने में विफल रहे। इसे भाजपा के लिए निकाय चुनाव के बाद दूसरी बड़ी हार के रूप में देखा जा रहा है और 2027 विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था।
पार्टी समर्थकों को न टिकट, न समर्थन
नैनीताल जिले की कुल 27 सीटों में से भाजपा ने 23 पर अपने प्रत्याशियों को समर्थन दिया था, लेकिन उन्हें पार्टी का आधिकारिक सिंबल नहीं दिया गया। सांसद अजय भट्ट, विधायक बंशीधर भगत, मोहन सिंह बिष्ट, सरिता आर्या समेत तमाम वरिष्ठ नेता और संगठन के पदाधिकारी इन प्रत्याशियों को जिताने के लिए दिन-रात मेहनत करते रहे, लेकिन नतीजे उनकी उम्मीदों के ठीक उलट रहे।
हार के पांच प्रमुख कारण
1. संगठन की दूरी: पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का समर्थित प्रत्याशियों से असहयोग।
2. जनविरोधी निर्णय: जिला प्रशासन के निर्णयों से जनता में नाराजगी।
3. अति आत्मविश्वास: भाजपा नेताओं का ग्राउंड रियलिटी से कटाव।
4. कार्यकर्ताओं की उपेक्षा: टिकट बंटवारे में सक्रिय कार्यकर्ताओं की अनदेखी।
5. प्रत्याशी चयन में गड़बड़ी: कमजोर और अव्यवस्थित चयन प्रक्रिया।
अध्यक्ष पद की जोड़-तोड़ शुरू
हालांकि, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह बिष्ट का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा का ही बनेगा। इसके लिए पार्टी बागी व निर्दलीय विजेताओं का समर्थन हासिल कर रही है। बातचीत में कई विजयी प्रत्याशी भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार भी हो गए हैं।पंचायत चुनाव में यह हार भाजपा के लिए एक चेतावनी है कि यदि पार्टी ने जमीनी कार्यकर्ताओं, टिकट वितरण और संगठन की दिशा में आत्ममंथन नहीं किया तो आगामी विधानसभा चुनावों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।






