दुकान से दलाल तक: भाजपा नेता गौरेंद्र सिंह का गुनाहों का साम्राज्य?
गरीब नौकरी से शुरू हुआ सफर, पेंशन घोटाले और ट्रेज़री कनेक्शन तक जा पहुंचा — सवालों के घेरे में सत्तारूढ़ दल का ‘चहेता’ चेहरा

जन एक्सप्रेस चित्रकूट (हेमनारायण हेमू): राजनीति के गलियारों में इन दिनों एक नाम तेजी से सुर्खियों में है — भाजपा के सक्रिय नेता गौरेंद्र सिंह। कभी चंद रुपए की नौकरी से जीवन शुरू करने वाले गौरेंद्र आज धन, रुतबा और सियासी रिश्तों के दम पर सत्ता के गलियारों में खुलेआम घूम रहे हैं। पर, यह सफर जितना तेज़ था, उतना ही विवादों से भरा हुआ भी।कभी दुकान पर मामूली काम करने वाले गौरेंद्र आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक बताए जा रहे हैं। उनके घर तक सत्ता की गाड़ियां रुक चुकी हैं — वर्ष 2020 में खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य शंकर बाजार स्थित उनके आवास पर पहुंचे, जहां भव्य स्वागत किया गया। तस्वीरें तब खूब वायरल हुईं, लेकिन अब वही तस्वीरें कई सवाल खड़े कर रही हैं।
पेंशन के नाम पर पेंच: मां की मौत के बाद भी जारी रही वसूली?
गौरेंद्र की माता जी शिक्षिका थीं। आरोप है कि उनकी मृत्यु के बाद भी गौरेंद्र ने उनके नाम से पेंशन की रकम लेना जारी रखा। जांच में मामला खुला, मीडिया के कैमरे घूमे, तो गौरेंद्र ने चेहरा छिपा लिया — और आखिरकार जेल की सलाखों तक जा पहुंचे।सवाल यह है कि पेंशन घोटाले में इतनी बड़ी रकम का प्रवाह कैसे चलता रहा, और कौन सी अदृश्य ताकतें थीं जिन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को इतना समय तक ढंका रखा?
ट्रेज़री घोटाला और भाजपा की चुप्पी
अब जबकि ट्रेज़री घोटाले में गौरेंद्र का नाम चर्चा में है, भाजपा के किसी नेता ने अब तक एक शब्द नहीं बोला। सियासी गलियारों में चर्चा है कि पार्टी की चुप्पी में कहीं न कहीं सियासी सुरक्षा का साया भी छिपा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले अब यही सवाल पूछ रहे हैं — क्या भाजपा का ‘जीरो टॉलरेंस’ नारा अब ‘जीरो रिएक्शन’ बन गया है?
‘गुनाहों का देवता’ या ‘सिस्टम का शिकार’?
जनता पूछ रही है — आखिर कौन-सी ताकतें हैं जो गौरेंद्र जैसे चेहरों को राजनीति की ढाल देती हैं? क्या यह मामला सिर्फ एक पेंशन घोटाले का है या इसके पीछे धनबल, रसूख और सत्ता का बड़ा खेल छिपा है? लोग कह रहे हैं — “जब राजनीति का मंच धन से सजने लगे, तो जनसेवा पीछे छूट जाती है।”अब जनता का एक ही सवाल है क्या भाजपा अपने उस नेता पर कार्रवाई करेगी जिसने मां की मौत के बाद भी उनकी पेंशन को कारोबार बना दिया?”फिलहाल, सत्ता मौन है,मीडिया सक्रिय है, और जनता इंतज़ार में —कि न्याय कब बोलेगा।फिलहाल भाजपा नेता गौरेंद्र सिंह जेल में है लेकिन तस्वीरें बोल रही है इसीलिए सत्ता चुप्पी साधे हुए है।






