समाज में परिवर्तन तब आएगा, जब हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करेंगे: उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम की आलोचना कर राजनैतिक लाभ अर्जित करने के प्रयास को मानवता के लिए घातक बताया। उपराष्ट्रपति ने भारतीय मूल्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज में परिवर्तन तब आएगा जब हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों का आदर करेंगे। उन्होंने कहा भारतीयता और भारत हमारे लिए सर्वोपरि हैं, हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को नई दिल्ली में संकल्प फाउंडेशन और पूर्व सिविल सेवा अधिकारी संघ को संबोधित किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने वरिष्ठ समाजसेवी माधव विनायक कुलकर्णी “मधु भाई” को “ऋषि सम्मान” से सम्मानित करते हुए कहा कि मधु भाई को सम्मानित करना मेरे लिए गौरव की बात है। उन्होंने आगे कहा कि मधु भाई का जीवन सादगी से पूर्ण है और ऐसे व्यक्तित्व का सम्मान करना समाज में स्थापित मूल्यों का सम्मान करना है। समाज की आधारशिला जिन मूल्यों और लोकाचारों पर टिकी हुई है, मधु भाई उसका जीवंत उदाहरण हैं।
धनखड़ ने दूसरे देशों में जाकर भारत की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बहुत अधिक प्रगति होती है तब न्यूटन के तीसरे नियम के तहत कुछ ताकतें देश की प्रगति की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। किसी भी हद तक जाकर आलोचना करती हैं और देश को बदनाम करने का कुकृत्य करती हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी वहां का मानव संसाधन है। देश की सांस्कृतिक विरासत भी एक बड़ी पूंजी होती है और सांस्कृतिक विरासत एक सॉफ्ट पावर के रूप में देश की तरक्की में अपनी भूमिका निभाती है। देश के युवाओं को आगाह करते हुए धनखड़ ने कहा कि देश के युवा राष्ट्र की उन्नति के कर्णधार हैं। भारत को विकसित बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। लोकतंत्र में सबसे अधिक हितधारक हमारे युवा ही हैं। भारत की आबादी में युवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे देश का भविष्य में क्या स्वरूप होगा, यह देश के युवाओं के योगदान और उनकी सजगता पर निर्भर करेगा। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने वाले योद्धा हमारे युवा ही बनेंगे।
सांसदों के आचरण और मर्यादा को लेकर अपनी चिंता को साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप अपने सांसदों से संसद में क्या उम्मीद करते हैं ? आप उम्मीद करते हैं कि हमारे सांसद वहां संवाद करेंगे, चर्चा करेंगे, गहन विचार विमर्श करेंगे और महत्वपूर्ण कानूनों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे लेकिन इसके बदले में आपको क्या देखने को मिलता है, शोर हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप। दरअसल, हमारा आचरण ऐसा होना चाहिए ताकि दूसरे लोग उससे कुछ सीख सकें। हमें अपने आचरण से समाज के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। जिस दिन हमारे देश के युवा ठान लेंगे की चुना हुआ सांसद संविधान की अपेक्षा के अनुसार अपने कर्तव्य का पालन करेगा, उस दिन हमारे सांसदों को संविधान के अनुसार आचरण करना पड़ेगा।
भारत की नई शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति बदलाव का एक मुख्य कारण बनेगी।इस शिक्षा नीति के तहत युवा एक साथ कई पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी साधन यदि कोई है तो वह शिक्षा ही है और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की नई शिक्षा नीति के माध्यम से समाज में एक महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी परिवर्तन होगा जो देश के शिक्षा जगत को एक नई दिशा प्रदान करेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज युवाओं के लिए भारत में करियर बनाने के लिए सर्वाधिक अवसर उपलब्ध हैं।