सिनेमा की अपनी भाषा और उसका व्याकरण होता है : डॉ स्मृति सुमन
प्रयागराज । सिनेमा की निर्मित में उसकी आख्यान संरचना के तत्वों का महत्व होता है। प्रत्येक फिल्म की अपनी एक थीम होती है। कोई फिल्म महिलाओं के विषय पर केंद्रित होती है, तो कोई भ्रष्टाचार पर, कोई प्रेम पर, कोई दोस्ती पर, कोई राष्ट्रीय भावना को केंद्र रखकर बनती है। हर सिनेमा अपने दर्शक वर्ग का निर्माण स्वयं करता है। सिनेमा की अपनी भाषा और उसका अपना व्याकरण होता है।
यह बातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की सहायक आचार्या डॉ स्मृति सुमन ने मंगलवार को ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज में फिल्म एप्रिसिएशन वर्कशॉप के दूसरे दिन सम्बोधित करते हुए कही। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने सिनेमा देखने की कला और उसकी राजनीति पर कहा कि सिनेमा देखने के लिए उसकी भाषा और उसके व्याकरण को समझना जरूरी है।
डॉ. स्मृति ने यहां पर प्रदर्शित कई फिल्मों का उदाहरण देकर सिनेमा के कई तकनीकी शब्दावलियों का विश्लेषण किया। उन्होंने पठान, जवान, गदर जैसी फिल्मों का उदाहरण देने के साथ ही दो बीघा जमीन और बैटलशिप पोटेमकिन जैसी फिल्मों के दृश्यों के जरिए फिल्म की दृश्य संरचना में शामिल तत्वों की व्याख्या की। फिल्मों में शामिल की जा रही नई नई तकनीकी, ड्रोन के इस्तेमाल, वीएफएक्स के इस्तेमाल आदि पर उन्होंने विस्तार से बात रखी।
इस अवसर पर कॉलेज की सांस्कृतिक समिति की संयोजिका डॉ गायत्री सिंह, सदस्य अंकित पाठक, अंजना श्रीवास्तव, अश्विनी देवी आदि उपस्थित रहे। फिल्म वर्कशॉप में दूसरे दिन प्रतिभागियों ने सवाल जवाब से अपनी प्रतिक्रियाएं दर्ज कराई। संचालन हिन्ंदी विभाग के शोध छात्र रंजीत कुमार और धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी मुकेश कुमार यादव ने किया।