उत्तर प्रदेश

सीएम योगी जी विधानसभा खतरे में, आप अंधेरे में

प्रदेश के वर्तमान और भविष्य की रूपरेखा जिस विधानसभा में तय की जाती है उसके प्रमुख सचिव की कुर्सी 2019 से खाली है।

जन एक्सप्रेस/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी जी, आपको अंधेरे में रखा जा रहा है। आपके इर्द-गिर्द रहने वाला सरकारी अमला आपकी ही आंखों में धूल झोंक रहा है। प्रदेश के वर्तमान और भविष्य की रूपरेखा जिस विधानसभा में तय की जाती है उसके प्रमुख सचिव की कुर्सी 2019 से खाली है।

यह किसी व्यक्ति या संस्थान का दावा और विपक्ष का आरोप नहीं है, खुद विशेष सचिव विधानसभा और अपीलीय अधिकारी मोहम्मद मुशाहिद द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गई लिखित सूचना में बताया गया है। इसके बावजूद प्रदीप कुमार दुबे न सिर्फ प्रमुख सचिव विधानसभा की कुर्सी पर काबिज हैं बल्कि विधानसभा से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं।

जन एक्सप्रेस नियम विरुद्ध कुर्सी पर काबिज प्रदीप कुमार दुबे की अनियमितताओं का दिसंबर 2022 से तथ्यों के साथ सिलसिलेवार खुलासा कर चुका है। उन पर नियुक्तियों में धांधली समेत तमाम गंभीर आरोप हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पिछले दिनों अन्य प्रमुख राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने भी विधानसभा के इस प्रकरण को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

बस्ती निवासी चन्द्र प्रकाश चौधरी ने सूचना के अधिकार के तहत 26.08.2022 को पद की नियुक्ति के लिए विज्ञापन संबंधी सूचना मांगी थी। इस पर जन सूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को पत्र सं० 1/1029/2022 दिनांक 13.10.2022 के माध्यम से इस संबंध में ‘प्रश्नगत प्रकरण में विज्ञापन का प्रसारण प्रक्रियाधीन है।’ सूचित किया गया।

प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी नहीं हुआ

सूचना से संतुष्ट न होने पर

चौधरी ने एक बार फिर 29.08.2024 को अपीलीय अधिकारी से संबंधित सूचना मांगी थी। इस पर जनसूचना अधिकारी द्वारा चौधरी के पत्र दिनांक 29.08.2024 के संबंध में यह माना गया कि मात्र उन्हीं विषयों पर सूचना उपलब्ध करायी जा सकती है जो घटना कारित हो गयी हो। चूंकि प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी नहीं हुआ अतः ऐसी स्थिति में मांगी गयी सूचना अस्तित्व में नहीं है।

ऐसी सूचना की ही इस अधिनियम के अंतर्गत आपूर्ति की जा सकती है जो पहले से विद्यमान हो

चौधरी को इस संबंध में कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण) भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और अन्य बनाम आदित्य बन्दोपाध्याय और अन्य में एस०एल०पी० (सी) सं० 7526/2009 से उद्भूत, सिविल अपील सं० 6454/2011 में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 पर माननीय उच्चतम न्यायालय का अनुपालन किये जाने सम्बंधी पत्र सं० 1/18/2011 आई0आर0 दिनांक 16 सितम्बर, 2011 का संदर्भ देते हुए यह स्पष्ट किया गया था कि ‘मात्र ऐसी सूचना की ही इस अधिनियम के अंतर्गत आपूर्ति की जा सकती है जो पहले से विद्यमान हो और लोक प्राधिकरण द्वारा धारित की गयी हो अथवा लोक प्राधिकरण के नियन्त्रण के अधीन धारित हो। लोक सूचना अधिकारी से सूचना का सृजन करने अथवा सूचना की व्याख्या करने अथवा आवेदकों द्वारा उठायी गयी समस्या को हल करने अथवा काल्पनिक प्रश्नों के उत्तर दिये जाने की उम्मीद नहीं की जाती है।

जहां सूचना लोक प्राधिकारी के अभिलेख का भाग नहीं है, ऐसी सूचना किसी आवेदक को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता

आर.टी.आई. में सभी सूचना जो उपलब्ध और विद्यमान है तक पहुंच का प्रावधान है। यह अधिनियम की धारा-2 के खण्ड (च) और (ञ) के अंतर्गत सूचना’ और सूचना का अधिकार की परिभाषाओं और धारा 3 के सम्मिलित पठन से स्पष्ट है। यदि किसी लोक प्राधिकारण के पास कोई सूचना डाटा, अथवा सारों अथवा आंकड़ों के रूप में हो तो कोई आवेदक ऐसी सूचना तक अधिनियम की धारा 8 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पहुंच बना सकता है। किन्तु जहां सूचना लोक प्राधिकारी के अभिलेख का भाग नहीं है, ऐसी सूचना किसी आवेदक को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।

बताया गया, ऐसी सूचना मांगे जाने का कोई औचित्य नहीं है

अपीलय अधिकारी ने यह भी बताया सूचना जो कि अस्तित्व में है ही नहीं, का प्रदान किया जाना सम्भव नहीं है और न ही ऐसी सूचना का मांगे जाने का कोई औचित्य ही है। उक्त तथ्यों के आधार पर जनसूचना अधिकारी द्वारा, मांगी गयी सूचना को अपोषणीय माना गया था।

5 दिसंबर को जारी हुए पत्र पर भी प्रदीप कुमार दुबे के हस्ताक्षर

सोमवार (16 दिसंबर) को विधानसभा सत्र शुरू होने की जिस सूचना को 5 दिसंबर को जारी किया गया है उस पर भी बतौर प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे के हस्ताक्षर हैं। यह विडंबना है कि विधानसभा सचिवालय एक ओर यह बता रहा है कि प्रमुख सचिव विधानसभा का पद 2019 से खाली है, वही उसे पद पर प्रदीप कुमार दुबे बतौर प्रमुख सचिव विधानसभा निर्णय ले रहे हैं और हस्ताक्षर कर रहे हैं।

30 अप्रैल 2019 को ही रिटायर हो चुके प्रदीप दुबे

दरअसल, प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे 30 अप्रैल 2019 को ही इस पद से रिटायर हो चुके हैं। इस संबंध में प्रमाण भी जन एक्सप्रेस के पास है। सरकारी लिखा पढ़ी में भी उन्हें सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव विधानसभा दर्शाया गया है।

प्रदीप कुमार दुबे को सेवा विस्तार भी तो नहीं मिला है

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ.संदीप पहल ने 2023 में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि शासन द्वारा 2019 के बाद किन-किन प्रशासनिक अधिकारियों को सेवाविस्तार या पुनर्नियुक्ति दी गई है। इस पर शासन द्वारा जो जवाब दिया गया उसमें प्रदीप कुमार दुबे का नाम नहीं था। अनूप चंद्र पांडे, दुर्गा शंकर मिश्र और अरविंद कुमार इन तीन आईएएस अधिकारी को ही सेवाविस्तार या पुनर्नियुक्ति दी गई।

यह भी पढ़े:-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button