आप विदेश नहीं, अपने पूर्वजों के घर आएं हैं’, कोरिया के जोग्ये भिक्षु संघ से बोले सीएम योगी
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया के संस्कृतिक और आध्यात्मिक सम्बंध शताब्दियों पुराने हैं। इस दृष्टि से आप विदेश में नहीं बल्कि अपने पूर्वजों के घर में आए हैं। कोरिया के ध्यान पंथ श्योन की उत्पत्ति श्रावस्ती के जैतवन से हुई है। उन्होंने कहा कि दो हजार वर्ष पूर्व अयोध्या की राजकुमारी ने जलमार्ग से दक्षिण कोरिया की यात्रा की थी। जहां उनका विवाह राजा किम सुरो के साथ हुआ। वहां उनका नाम हू वांग आंक पड़ा। उन दोनों से कड़क वंश की स्थापना हुई। वर्तमान समय में दक्षिण कोरिया में एक बड़ी आबादी इस वंश से जुड़ी हुई है। सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया और भारत के संबंध एक नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं। वर्ष 2018 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई इन और प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के गौतमबुद्धनगर में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की नई मोबाइल फोन निर्माण इकाई का संयुक्त रूप से उद्धघाटन किया था।
भारत-दक्षिण कोरिया के राजनयिक संबंधों के पचास वर्ष पूर्ण होने पर कोरिया जोग्ये भिक्षु संघ के अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया की स्वतंत्रता की तिथि 15 अगस्त है। वर्तमान में भारतवासी अपनी आजादी के अमृत महोत्सव के उपरांत अमृत काल के प्रथम वर्ष में प्रवेश किये हैं। भारत और दक्षिण कोरिया जी20 समूह के सदस्य हैं। अपनी आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में भारत को जी20 समूह की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस वर्ष जी20 की थीम एक धरा, एक परिवार और एक भविष्य है। यह भारत की प्राचीन वसुधैव कुटुंबकम के भाव से जोड़ती है। पूरी दुनिया में जब मैत्री और करुणा की बात होती है तो विश्व मानवता भगवान बुद्ध की बात करती है। सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लिए यह गौरव का विषय है कि भगवान गौतमबुद्ध से जुड़े अनेक स्थल यहां पर अवस्थित हैं। भगवान बुद्ध ने अपने जीवन का दो तिहाई हिस्सा उत्तर प्रदेश में व्यतीत किया था।
सीएम योगी ने कहा कि वाराणसी के समीप सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक 25 वर्षावास श्रावस्ती में व्यतीत किया था। उनकी महापरिनिर्वाण स्थली भी कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश में पवित्र बौद्ध स्थल श्रावस्ती, कपिलवस्तु, देवदह, कुशीनगर, संकिशा, ललितपुर, देवगढ़, आई छत्र बरेली और कौशांबी बौद्ध हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का एक मात्र राज्य है जहां सरकारी स्तर पर संचालित विशाल बुद्ध विहार शांति उपवन है। हमारे प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान भी है। प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी बौद्ध स्थलों को विकसित किया जा रहा है।