श्रीमद्भागवत कथा में गौ ऋषि चैतन्य जी ने पर्यावरण संरक्षण और जल संकट पर दिया महत्वपूर्ण संदेश

जन एक्सप्रेस/ चित्रकूट: चित्रकूट के राजापुर तुलसी स्मारक में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन प्रख्यात कथावाचक गौ ऋषि प्रकाश चैतन्य जी महाराज ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के संरक्षण के बिना मानव समाज का विकास संभव नहीं है। यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने यमुना तटों पर वृक्षारोपण का आह्वान करते हुए इसे संतान की भांति संरक्षित करने की अपील की।
भूजल संकट और जल संरक्षण की आवश्यकता
गौ ऋषि प्रकाश चैतन्य जी ने बताया कि 2031 तक भयंकर भूजल संकट हो सकता है। इस संकट को रोकने के लिए समाज को जल संरक्षण के उपाय करने होंगे। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में बरसात का पानी नालियों और छतों से बहकर नदियों में चला जाता है, जिससे जल संकट पैदा होता है। उन्होंने प्राचीन काल के प्रदूषण मुक्त विज्ञान का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज को जल स्रोतों के प्रति जागरूक होना चाहिए।
नाम की महिमा और मोक्ष का महत्व
कथा के दौरान चैतन्य जी महाराज ने राजा परीक्षित की कथा सुनाई, जिसमें मृत्यु के समय मोक्ष के उपाय पूछे गए थे। उन्होंने बताया कि भक्ति के दो रूप—सगुण और निर्गुण—दोनों में नाम की महिमा अनंत है। सत्संग और श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है और मोक्ष प्राप्त होता है। उन्होंने ध्रुव चरित्र और देवहूति की कथा सुनाकर भक्ति और उपासना का महत्व बताया।
श्रोतागण ने उठाया आध्यात्मिक लाभ
कथा के इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। श्रोताओं में मधुरेन्द्र प्रताप सिंह, राम चिंतन द्विवेदी, रामअभिलाष पांडेय, कुलदीप मिश्रा, राजकुमार प्रजापति, और हरिश्चंद्र पांडेय सहित कई लोग मौजूद रहे। सभी ने कथा का श्रवण कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।






