उत्तराखंड

उत्तराखंड में लोकतंत्र सेनानियों को मिलेगा कानूनी दर्जा, बढ़ेंगी सुविधाएं

आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर बड़ा कदम, मानसून सत्र में पेश होगा विधेयक

जन एक्सप्रेस/उत्तराखंड: धामी सरकार लोकतंत्र सेनानियों को बड़ी सौगात देने जा रही है। आपातकाल के दौरान जेल गए व्यक्तियों को अब कानूनी सुरक्षा और बढ़ी हुई सुविधाएं देने के लिए सरकार नया कानून लाने की तैयारी कर रही है। 19 अगस्त से गैरसैंण में शुरू हो रहे मानसून सत्र में इस आशय का विधेयक पेश किया जा सकता है।

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित सम्मान समारोह के दौरान लोकतंत्र सेनानियों के अधिकारों की रक्षा का वादा किया था। अब उस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। राज्य का गृह विभाग विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है, जिसकी पुष्टि खुद सचिव गृह शैलेश बगोली ने की है।

किन्हें मिलेगा लाभ?
यह विधेयक 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच एक महीने या उससे अधिक समय तक जेल में रहे लोकतंत्र सेनानियों पर लागू होगा। उत्तराखंड में ऐसे लगभग 80 लोग हैं, जिन्हें इस कानून से लाभ मिल सकता है।

क्या-क्या मिलेंगी सुविधाएं?
फिलहाल लोकतंत्र सेनानियों को 20 हजार रुपये प्रति माह की पेंशन दी जाती है। नया कानून लागू होने के बाद उन्हें परिवहन सुविधा, स्वास्थ्य लाभ और अन्य सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं भी मिल सकती हैं।

क्यों है ये विधेयक जरूरी?
पूर्व में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने शासनादेश के जरिए पेंशन योजना लागू की थी, लेकिन शासनादेश को भविष्य में कोई भी सरकार रद्द कर सकती है। इसे रोकने और लोकतंत्र सेनानियों के हक को स्थायी सुरक्षा देने के लिए अब इसे कानूनी रूप दिया जा रहा है।

संविधान की रक्षा करने वालों को सम्मान
आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाने का फैसला लिया था। इसी मौके पर उत्तराखंड सरकार ने भी लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया था, जहां से यह पहल शुरू हुई।

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