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झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन नहीं रहे

आदिवासी अधिकारों के लिए दशकों तक संघर्ष करने वाले झामुमो संस्थापक का निधन, देशभर से शोक की लहर

जन एक्सप्रेस नई दिल्ली/रांची। झारखंड की राजनीति के सबसे प्रभावशाली और सम्मानित नेताओं में शुमार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर सामने आते ही राज्यभर और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृहमंत्री अमित शाह से लेकर विपक्षी दलों के नेताओं तक ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया।

“आज मैं शून्य हो गया हूं”: हेमंत सोरेन की भावुक श्रद्धांजलि

शिबू सोरेन के निधन की पुष्टि खुद उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर की। उन्होंने लिखा,
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”
इस भावुक संदेश के साथ पूरे झारखंड में शोक का माहौल बन गया है।

राजनीतिक जीवन: एक आदिवासी नेता से ‘दिशोम गुरु’ तक

शिबू सोरेन ने झारखंड में आदिवासी समुदाय के अधिकारों और सम्मान के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने झामुमो की स्थापना कर अलग झारखंड राज्य के गठन में अहम भूमिका निभाई। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और केंद्र सरकार में भी कोयला मंत्री जैसे अहम पदों पर कार्य कर चुके थे।

नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, बताया ‘जनता का सच्चा नेता’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए कहा,
“शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में तरक्की की। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए खास तौर पर प्रतिबद्ध रहे। उनके निधन से दुख हुआ।”

गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें याद करते हुए लिखा,
“अपने सरल व्यक्तित्व और विनम्र स्वभाव से वे आम जनता से जुड़े रहे। उन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए दशकों तक संघर्ष किया।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा,
“शिबू सोरेन जमीन और जनता से जुड़े नेता थे। उनका निधन एक युग का अंत है।”

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कल्पना सोरेन को मैसेज कर संवेदना व्यक्त की और कहा,
“यह हम सभी के लिए बहुत दुखद समाचार है। हमारी प्रार्थनाएं परिवार के साथ हैं।”

लालू प्रसाद यादव ने शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“शिबू सोरेन दलितों और आदिवासियों के एक महान नेता थे। राजनीति के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है।”

राजद सांसद मनोज झा ने भावुक होकर कहा,
“उन्हें ‘गुरुजी’ ऐसे ही नहीं कहा जाता था। उनका निधन एक युग का अंत है।”

जनता के दिलों में अमर रहेंगे ‘गुरुजी’

शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक आंदोलन का नाम थे। वे झारखंड की माटी, भाषा, संस्कृति और अधिकारों के प्रतीक बन चुके थे। झारखंड के आदिवासी समाज ने उन्हें ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि दी थी, जो उनकी लोकप्रियता और योगदान का प्रमाण है।उनका अंतिम संस्कार झारखंड में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। राज्य सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

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