उत्तराखंड

पहाड़ में रोजगार के अवसर सृजन करने होंगे : डाॅ. माधुरी बड़थ्वाल

गोपेश्वर । पद्मश्री डाॅ. माधुरी बड्थ्वाल का बदरीनाथ से लौटते हुए शनिवार को पीपलकोटी में बंड विकास संगठन और स्थानीय ग्रामीणो नें स्वागत किया और उन्हें स्मृति-चिन्ह भेंट किया।

पद्मश्री माधुरी बड़थ्वाल संस्कृति और रिवर्स पलायन संवाद के जरिए प्रदेशभर में लोगों को जागरूक कर रही हैं। पीपलकोटी में स्थानीय लोगो से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि पहाड़ पलायन से खाली हो गये इसलिए रिवर्स माइग्रेशन के जरिए लोगों को पहाड़ लौटकर अपनी माटी के लिए कुछ करना चाहिए। पहाड़ में रोजगार की असीमित संभावनाएं हैं। योग, पर्यटन में ही लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकता हैं। हमें अपनी संस्कृति, वेशभूषा और खान पान को बढ़ावा देना होगा इसके लिए सबको मिलकर आगे आना पड़ेगा।

बंड विकास संगठन के पूर्व अध्यक्ष अतुल शाह नें कहा की पीपलकोटी में पलायन बहुत कम हुआ है। यहां लोगो ने रिवर्स पलायन के जरिए स्वरोजगार के तहत अपना रोजगार सृजन किया है। आज पीपलकोटी पर्यटन, संस्कृति का प्रमुख केन्द्र बन चुका है। इस अवसर पर शम्भू प्रसाद सती, रूप सिंह गुसाई, अयोध्या हटवाल सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

ये हैं डाॅक्टर माधुरी बड़थ्वाल-

पद्मश्री, नारी शक्ति सम्मान सहित दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित डाॅ. माधुरी बड़थ्वाल का पूरा जीवन लोकगीतों के संरक्षण और संवर्धन को समर्पित है। उनके पास सैकड़ों लोकगीतों का खजाना है जो आज लोक से विलुप्त हो चुके हैं।

कि डॉ. माधुरी बडथ्वाल को महज ढाई साल की उम्र से लोकसंगीत के प्रति ऐसा लगाव हुआ की वे विगत पांच दशकों से लोकगीतों के संरक्षण और संवर्धन में बड़ी शिद्दत से जुटी हुई है। उन्होंने पिछले 50 सालों में उत्तराखंड के गांव-गांव घूमकर लोक के असली कलाकारों को पहचाना, सैकड़ों लोगों को लोकसंगीत का प्रशिक्षण दिया। साथ ही पारम्परिक वाद्य यंत्रों मे पुरुषों के एकाधिकार को चुनौती दी और महिलाओं की मांगल और ढोल वादन टीम देते हुए नयी लकीर खींची।

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