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LDA की आंखों में धूल या मिलीभगत? विस्वास खंड में खुलेआम नियमों की धज्जियां!

दो भूखंड, एक नक्शा — फिर भी धड़ल्ले से चल रहा निर्माण! शिकायतकर्ता को गुमराह करने वाली रिपोर्ट, JE बोले - "फीडबैक दे दो, फिर देख लेंगे!

जन एक्सप्रेस संवाददाता, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की कार्यशैली पर फिर उठे गंभीर सवाल। गोमती नगर के विस्वास खंड-2/134 और 2/135 पर हो रहे मानचित्र के विरुद्ध निर्माण को लेकर उठी शिकायत पर LDA के इंजीनियरों की रिपोर्ट को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शिकायत संख्या 40015725070910 पर दी गई जांच रिपोर्ट को भ्रामक और सच्चाई से कोसों दूर बताया गया है। मामला सिर्फ एक अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि संस्थागत लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार का है।

क्या है पूरा मामला?

दो प्लॉट्स पर एकसाथ व्यवसायिक निर्माण, जबकि नक्शा सिर्फ एक भूखंड का पास!

फ्रंट और बैक सेटबैक यानी खाली जगह छोड़ने के नियमों की सरेआम अनदेखी

मौके पर व्यवसायिक गतिविधि होने के बावजूद रिपोर्ट में ‘नहीं मिला कुछ’ बताया गया!

LDA की संदिग्ध रिपोर्ट क्या कहती है?

2 अगस्त 2025 को JE ओमपाल सिंह और AE सत्येंद्र कुमार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया:

निर्माण मानचित्रानुसार है, कोई व्यवसायिक प्रयोग नहीं पाया गया।”

लेकिन स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ता ने इस रिपोर्ट को बताया –

भ्रामक, अपूर्ण और गढ़ी गई कहानी।”

JE ओमपाल सिंह का ‘आलसी जवाब’

जब उनसे रिपोर्ट की असलियत पर सवाल पूछा गया तो उनका बयान और भी चौंकाने वाला निकला: अगर शिकायतकर्ता असंतुष्ट है तो फीडबैक दे दे, मैं फिर से देख लूंगा।”क्या अब शिकायतकर्ता को इंजीनियरों को काम सिखाना होगा? क्या ‘फीडबैक’ के बाद ही LDA हरकत में आता है?

प्रशासन से सीधे सवाल – जवाब चाहिए!

1. क्या नक्शा दो भूखंडों के लिए पास है? अगर नहीं, तो निर्माण वैध कैसे?

2. क्या जांच के दौरान मौके पर नक्शे से मिलान किया गया? नहीं तो क्यों नहीं?

3. रिपोर्ट देने वाले इंजीनियरों की जवाबदेही कौन तय करेगा?

4. क्या यह मिलीभगत का मामला है या सिर्फ ‘कामचलाऊ रवैया’?

शिकायतकर्ता की मांग:

तकनीकी एक्सपर्ट से पुनः जांच कराई जाए

अवैध निर्माण पर सील और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाए

गलत रिपोर्ट देने वालों पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई हो

ये सिर्फ एक इमारत नहीं, सिस्टम की नींव हिलाने वाला मामला है!

विस्वास खंड का यह मामला सिर्फ एक कॉलोनी तक सीमित नहीं है — यह बताता है कि यदि अब भी जवाबदेही तय नहीं की गई, तो राजधानी में नियम और कानून सिर्फ कागज की शोभा बनकर रह जाएंगे।LDA को यह समझना होगा कि जनसुनवाई सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि जनता का विश्वास जीतने का माध्यम है। अगर शिकायतों पर ऐसी लीपापोती जारी रही, तो LDA की साख पर जनता ही नहीं, न्याय भी उंगली उठाएगा।

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