भ्रष्टाचार के प्रहार से जमींदोज हुआ सरकारी बिल्डिंग, खंड शिक्षा अधिकारी सल्टौआ पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

जन एक्सप्रेस/ बस्ती : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार को लेकर लाख दावे करते हैं। लेकिन उनके अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारी, कामचोर लापरवाह अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई तो कर रहे हैं लेकिन कुछ अफसर को मुख्यमंत्री का बिल्कुल भी डर नहीं है। ताजा मामला बस्ती जिले के सल्टोआ गोपालपुर ब्लॉक का है। जहां एक सरकारी बिल्डिंग बीआरसी परिसर को जेसीबी लगाकर रातों-रात ध्वस्त कर दिया जाता है और किसी को कानों कान खबर नहीं लगती। वहीं लोगों की माने तो खंड शिक्षा अधिकारी ने जेसीबी लगाकर बिना किसी नीलामी कराए बिल्डिंग को जेसीबी लगाकर ध्वस्त कर दिया जाता है। यहां तक भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए कैंपस में लगे सीसीटीवी कैमरे को रातों-रात निकलवा दिया गया जिससे भ्रष्टाचार कमरे में कैद ना हो सके।
आपको बता दे की किसी भी सरकारी भवन को गिरने से पहले उसको जर्जर घोषित करवाना होता है। उसके बाद उसकी नीलामी की प्रक्रिया पूरी कराई जाती है। ग्रामीण, शिक्षक व शिक्षक संघ की ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी ने सभी नियम कानून को दरकिनार करते हुए बिल्डिंग को जेसीबी से ध्वस्त कर दिया। खंड शिक्षा अधिकारी के इस रवैया से शिक्षकों और ग्रामीणों में काफी रोश है।वहीं ग्रामीणों ने जिला अधिकारी से इस मामले की शिकायत की है।
सरकारी भवन को गिराने का क्या हैं नियम
कोई भी सरकारी भवन यदि जर्जर होती है तो सरकारी नियमों के अनुसार उसकी नीलामी प्रक्रिया अपनाकर उस भवन का मूल्यांकन करते हुए उसके ईंट,सरिया ,फाटक ,जंगलों आदि का मूल्यांकन होता है उसके बाद अखबार में गजट होता है और गजट होने के बाद उसकी नीलामी प्रक्रिया शुरू कराई जाती है।
नीलामी में कम से कम तीन ग्राहक की लगती है बोली
आपको बता दे की किसी भी सरकारी भवन की नीलामी होने पर सबसे अधिक बोली लगाने वाले को वह भवन दिया जाता है। लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने नियम कानून को दरकिनार करते हुए जेसीबी लगाकर गिरा दिया गया।
15 वर्षों तक रहती है बनाने वालों की रहती जिम्मेदारी
किसी भी सरकारी भवन का जब निर्माण होता है तो निर्माण करवान वाले की 15 साल जिम्मेदारी रहती है। जबकि यह भवन मात्र 9 वर्ष पुराना है और जिसने भी इसको बनवाया उसकी जिम्मेदारी 15 वर्षों तक रहती है यदि 15 वर्षों में वह भवन गिरता है या जर्जर हो जाता है तो वह उसकी मरम्मत का कार्य करता वही व्यक्ति करता है जिसने बनवाया है।
इस पूरे मामले में बीएसए बस्ती अनूप कुमार ने खंड शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार को पत्र लिखकर पूरे मामले की आख्या तलब किया। सवाल यह है कि इस मामले में कोई कार्रवाई होगी या फिर हमेशा की तरह अधिकारी को क्लीन चिट मिल जाएगी।
वर्जन
खंड शिक्षा अधिकारी के द्वारा और उनकी मिली भगत से यह भवन गिरवा दिया गया। किसी भी सरकारी भवन को गिराने से पहले उसको जर्जर घोषित करवाते हुए उसकी नीलामी प्रक्रिया पूर्ण कराई जाती है,परंतु 9 वर्षों से न तो इस भवन के मरम्मत के लिए व नीलामी के लिए खंड शिक्षा अधिकारी ने कभी प्रयास किया ना ही उच्च अधिकारियों ने इसका संज्ञान लिया। सरकारी धन का बहुत बड़ा दुरुपयोग खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा किया गया है।