उत्तराखंड

राजभवन में धूमधाम से मनाया गया‘हरेला’पर्व, राज्यपाल ने लुकाट् प्रजाति के पौध का किया रोपण

देहरादून । उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का पर्व हरेला मंगलवार को राजभवन में धूमधाम से मनाया गया। राज्यपाल ने हरेला पर्व पर राजभवन परिसर में लुकाट् प्रजाति के पौधे का रोपण किया। हरेला पर्व के अवसर पर छोलिया नर्तक दल ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत कर इस पर्व की शोभा बढ़ाई।

इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने हरेला पर्व पर देश और प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उत्तराखंड में प्रकृति को महत्व देने की हमारी परंपरा रही है, प्रकृति के विभिन्न रूपों की हम पूजा करते हैं। हरेला पर्व हमारी लोक संस्कृति, प्रकृति और पर्यावरण के साथ जुड़ाव का भी प्रतीक है और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लें।

उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को शुद्व वातावरण मिल सके इसके लिए हम सभी को वृक्षारोपण व पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है। हम सभी उत्तराखंड वासियों ने हमेशा से ही पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का कार्य किया है। उत्तराखण्ड में 70 प्रतिशत से भी अधिक वनाच्छादित क्षेत्र है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता के लिए कई आंदोलन की शुरुआत यहीं से प्रारम्भ हुए। इस लिहाज से पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

राज्यपाल ने कहा कि आज पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियां बढ़ रही हैं। यह पर्व ऐसी चुनौतियों के समाधान के लिए भी हमें प्रेरित करता है। हमें वृक्षारोपण के साथ-साथ उनकी देखभाल भी करनी चाहिए। चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी और उनके उपरांत सुंदरलाल बहुगुणा का योगदान अमूल्य है। वर्तमान समय में कल्याण सिंह ‘मैती’ भी पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहतरीन कार्य कर रहे हैं।

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