उत्तराखंडनैनीताल

हरिद्वार हत्याकांड: हाई कोर्ट ने हैदर की फांसी की सजा बरकरार रखी,

नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दस्तावेज सरकार को सौंपने के दिए निर्देश, निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा

जन एक्सप्रेस/नैनीताल(उत्तराखण्ड) : हरिद्वार में युवती की नृशंस हत्या के दोषी हैदर की फांसी की सजा पर बुधवार को नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले से संबंधित सभी दस्तावेज राज्य सरकार को तत्काल उपलब्ध कराए जाएं। कोर्ट ने अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है।

12 जून को निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा
हरिद्वार के प्रथम जिला अपर सत्र न्यायाधीश ने 12 जून 2025 को हैदर को फांसी और ₹50,000 जुर्माने की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने अपने निर्णय में लिखा कि “दोषी हैदर को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।”

शादी से इनकार पर युवती की गला रेतकर हत्या
वर्ष 2021 में हरिद्वार निवासी दिनेश ने थाना गंगनहर, रुड़की में दर्ज कराए गए मामले में बताया कि उसकी बहन को आरोपी हैदर अक्सर परेशान करता था। एक दिन जब घर पर कोई नहीं था, तो हैदर अपने दो साथियों के साथ घर में घुसा और उनकी बहन की घुटने मोड़कर धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि हैदर शादी के लिए दबाव बना रहा था, लेकिन जब बहन ने इंकार किया तो उसने योजना बनाकर यह हत्या की।

ट्रायल कोर्ट में आरोपी ने बताया खुद को निर्दोष, अभियोजन ने कहा- सोची-समझी साजिश थी
सुनवाई के दौरान आरोपी हैदर ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि वह फांसी की सजा के योग्य नहीं है। वहीं अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि यह हत्या एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें आरोपी के दो साथियों ने भी सहयोग किया। अभियोजन ने मांग की कि सभी आरोपियों को सजा दी जाए।

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