डा. राजेश्वर उनियाल को महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी का सम्मान
देहरादून । मुंबई में गत 40 वर्षों से कार्यरत श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड के मूल निवासी डा. राजेश्वर उनियाल की साहित्य सेवाओं को देखते हुए मुंबई के रंग शारदा सभागृह में उनको महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी ने साहित्य का जीवन गौरव सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया।
डॉ. राजेश्वर उनियाल इससे पहले भी राष्ट्रपति से साहित्य सेवा का राजभाषा गौरव पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। भारत सरकार एवं विभिन्न संस्थाओं आदि से उन्हें अब तक 40 से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनका पंदेरा और भाड़े का रिक्शा उपन्यास, शैल सागर, मैं हिमालय हूं, माउंट एण्ड मेरिन, मेरू उत्तराखंड महान काव्य कृतियां, डरना नहीं पर कहानी संग्रह तथा नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित नाटक वीरबाला तीलू रौतेली आदि प्रमुख कृतियां हैं ।
उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी लोक-साहित्य में पीएचडी की उपाधि ली थी। उनकी पुस्तक हिन्दी लोक-साहित्य का प्रबंधन एवं उत्तरांचली लोक-साहित्य पुस्तकें काफी चर्चित रहीं। इसके साथ ही उन्होंने उत्तरांचल की कहानियाँ और उत्तरांचल की कविताएं सहित कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन व लेखन आदि का कार्य भी किया है। उनकी रचनाएं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। साहित्य के साथ ही वह मुंबई के सामाजिक क्षेत्र में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।