उत्तर प्रदेश

यूपीएलडीवी में हुए भ्रष्टाचार को विधानसभा सदन में उठाएं माननीय

जन एक्सप्रेस/राज्य मुख्यालय। उत्तर प्रदेश लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड (यूपीएलडीवी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. नीरज गुप्ता और मुख्य सचिव पशुधन के भ्रष्टाचार का मामला विधानसभा सदन और विधान परिषद में उठाए जाने की मांग को लेकर वेटनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने पक्ष और विपक्ष दलों के विधायक और प्रमुख नेताओं को पत्र लिखा है।

तत्कालीन मुख्य सचिव पशुधन रजनीश दुबे भी कठघरे में

सोसायटी के पदाधिकारियों ने डा. नीरज गुप्ता की नियुक्ति पर तत्कालीन मुख्य सचिव पशुधन रजनीश दुबे पर भी सवाल उठाए हैं। आरोप है कि नीरज गुप्ता को यूपीएलडीवी का सीईओ बनाए जाने को लेकर नियमों को तोड़ने के साथ ही आयोग्य व्यक्ति को योग्य करार दिए जाने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंटशन किया गया।

सीईओ पद के लिए 37400 से 67000 वेतनमान तथा 10000 रुपए ग्रेड पे पा रहे केंद्र/ राज्य/अर्धसरकारी तथा प्राइवेट इंस्टीट्यूट में कार्यरत पशु चिकित्सक विद ही आवेदन के योग्य थे। लेकिन तत्कालीन मुख्य सचिव ने नियमों को दरकिनार कर नीरज गुप्ता का चयन किया जो उस समय किसी नौकरी में नहीं थे। उनका अंतिम जॉब एप्पी/फिज कोल्डड्रिंक बेचने वाली पारले एग्रो कंपनी का था। जिस समय नीरज गुप्ता का सीईओ पद के लिए चयन हुआ, उस दौरान वह चार महीने से बेरोजगार थे। पारले एग्रो कंपनी में वह एक साल भी जॉब नहीं कर सके थे।

भ्रष्टाचार की शिकायत के बावजूद नीरज पर कार्रवाई नहीं

कंप्यूटर ऑपरेटरों ने यूपीएलडीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नीरज गुप्ता के भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत प्रमुख सचिव पशुधन के नायक और पशुधन मंत्री से की थी। जिसके पशुधन मंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। भ्रष्टाचार की जांच के लिए विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय कमेटी ने भी जांच शुरू ही नहीं की। एक के बाद कड़ियों को यदि जोड़ा जाए तो लगता है कि भ्रष्टाचार के इस मामले में कई बड़े अधिकारियों की संलिप्तता को नकारा नहीं जा सकता।

थाने में शिकायत पर भी सब मौन

वेटनरी डॉक्टर्स वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष ने 10 दिसंबर 2024 को मुख्य सचिव पशुधन के रविंद नायक, सीईओ नीरज गुप्ता के खिलाफ लखनऊ के थाना हजरत गंज में शिकायत दी थी। उप्र पशुधन चिकित्सा आगरा के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार ने भी मीडिया के समक्ष मुख्य सचिव पशुधन और सीईओ की ओर से किए गए काले कारनामों को उजागर किया था। लेकिन अभी तक पुलिस की ओर से संबंधित शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इसके उलट ऐसी चर्चा है कि मुख्य सचिव के रविंद्र नायक सर्विस कंडक्ट रूल्स का उल्लंघन का बिना प्रक्रिया के डा. मनोज कुमार को बर्खास्त करना चाहते हैं।

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