
जन एक्सप्रेस हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चल रहे कन्या कौशल प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन विभिन्न वक्ताओं ने जीवन में सफलता, आत्मविकास और चरित्र निर्माण के सूत्र बताते हुए कहा कि सफलता केवल ऊँचा पद पाने में नहीं, बल्कि अच्छे संस्कारों और संवेदनशीलता में छिपी है। शैलदीदी ने दिया सफलता का सूत्र “सकारात्मक सोच और अनुशासन ही जीवन की कुंजी शिविर के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी से भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।उन्होंने कहा जीवन में सफलता पाने के लिए केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच, नियमित दिनचर्या और आत्मअनुशासन भी उतने ही आवश्यक हैं।चरित्र और संस्कार ही वह नींव हैं, जिन पर उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होता है।”देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने अपने प्रेरक संदेश में कहा कि विद्यार्थीकाल जीवन की सबसे बहुमूल्य अवधि होती है।इस समय किए गए प्रत्येक कर्म भविष्य की मजबूत नींव बनाते हैं।युवाओं को स्वामी विवेकानंद और युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।”
प्रशिक्षण में सिखाया गया सर्वांगीण विकास का मंत्र
शिविर में प्रतिभागियों को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास से संबंधित सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।प्रशिक्षकों ने बताया कि हर दिन की शुरुआत प्रार्थना, स्वाध्याय और सकारात्मक विचारों से करनी चाहिए ताकि जीवन में आत्मविश्वास और स्थिरता बनी रहे।आधुनिक युग की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागियों को साइबर क्राइम जागरूकता पर एक वीडियो दिखाया गया।इसमें मोबाइल और इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग तथा ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के उपाय बताए गए।राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से आईं तीन सौ से अधिक प्रतिभागी कन्याओं ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। शिविर के दौरान शांतिकुंज के कई वरिष्ठ कार्यकर्त्ता और प्रशिक्षक भी उपस्थित रहे।






