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लखनऊ: रैथा रोड पर एलडीए की नाक के नीचे अवैध ‘सहाय एन्क्लेव’ कॉलोनी और पांच मंजिला कॉम्प्लेक्स, सेप्टिक टैंक धंसने से मजदूरों की मौत का मामला भी दबाया गया

जन एक्सप्रेस/अनिल कुमार सिंह

लखनऊ। राजधानी लखनऊ के रैथा रोड पर एक बेहद चौंकाने वाला निर्माण घोटाला सामने आया है, जो न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाता है बल्कि भविष्य में एक जानलेवा त्रासदी की नींव भी बन सकता है। ‘केस्टो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा बनाई जा रही ‘सहाय एन्क्लेव’ कॉलोनी पूरी तरह अवैध रूप से विकसित की जा रही है, और हैरान करने वाली बात ये है कि एलडीए की जानकारी के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।

150 से अधिक मकान बिना स्वीकृति के तैयार, एलडीए मूकदर्शक

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह कॉलोनी एलडीए के जोन-4 में आती है, जहां निर्माण से पहले प्राधिकरण की मंजूरी लेना अनिवार्य है। लेकिन यहां न कोई मानचित्र पास हुआ, न सीवर या जल आपूर्ति की योजना, और न ही किसी प्रकार की अधिस्वीकृति ली गई। फिर भी कॉलोनी में 150 से अधिक मकानों का निर्माण कर दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बिना किसी विभागीय गठजोड़ के यह संभव नहीं।

मुख्य गेट पर पांच मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सेप्टिक टैंक के ऊपर बना ‘मौत का बुलडोजर’

 

कॉलोनी के मुख्य द्वार पर एक विशाल पांच मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी खड़ा कर दिया गया है, जो सेप्टिक टैंक के ठीक ऊपर बना है। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा निर्माण अत्यंत खतरनाक है क्योंकि इसके नीचे की जमीन कभी भी धंस सकती है, जिससे बड़ी जनहानि की आशंका है।

धंसी थी जमीन, मर गए थे मजदूर – लेकिन दफन हो गया सच

सबसे खौफनाक पहलू यह है कि करीब डेढ़ साल पहले जब इस जगह पर सेप्टिक टैंक के लिए गड्ढा खोदा जा रहा था, तब ज़मीन धंसने से 2-3 मजदूर उसमें दबकर मर गए थे। स्थानीय लोगों और मजदूरों के परिजनों द्वारा पुलिस में शिकायत भी की गई, लेकिन मामले को बिल्डर और पुलिस के बीच ‘समझौते’ के जरिये दबा दिया गया। न एफआईआर हुई, न जांच, और न ही किसी की जवाबदेही तय हुई। आज भी उन मजदूरों की मौत एक गुमनाम हादसा बनकर रह गई है।

बिल्डर का बचाव: “हमें जिला पंचायत से नक्शा पास है” – लेकिन ये कानूनन अमान्य

जब इस घोटाले पर बिल्डर से बात की गई तो उनका कहना था कि “हमें जिला पंचायत से नक्शा पास मिला है”। लेकिन जानकारों के अनुसार रैथा रोड क्षेत्र पूरी तरह एलडीए के अधीन आता है, जहां पंचायत की स्वीकृति मान्य ही नहीं है। यह तर्क नियमों की जानबूझकर गलत व्याख्या कर लोगों और प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास प्रतीत होता है।

एलडीए की चुप्पी – क्या भ्रष्टाचार की बू नहीं?

प्रश्न उठना लाज़िमी है कि जब एक संपूर्ण अवैध कॉलोनी बस रही है, पांच मंजिला इमारत खड़ी हो रही है, और लोग उसमें रहना शुरू कर चुके हैं – तब एलडीए क्या कर रहा है? क्या कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है? या फिर कागजों पर खानापूरी कर ज़मीनी सच्चाई से आंखें मूंद ली गई हैं?

भविष्य का खतरा: गैस रिसाव, धंसाव, विस्फोट की आशंका

सेप्टिक टैंक पर खड़ी इमारत को लेकर विशेषज्ञ स्पष्ट चेतावनी दे चुके हैं – ऐसे निर्माणों में कभी भी जहरीली गैस का रिसाव, जमीन का धंसाव या विस्फोट जैसी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। कॉलोनी में कोई अग्निशमन व्यवस्था, पार्किंग, जलनिकासी, बिजली आपूर्ति या सुरक्षा उपाय मौजूद नहीं हैं।

अब सवाल जनता और शासन के सामने हैं:

क्या एलडीए इस अवैध कॉलोनी और कॉम्प्लेक्स के खिलाफ कार्रवाई करेगा या अपने अधिकारियों को बचाने में जुटा रहेगा?

क्या मजदूरों की दबाई गई मौतों की फिर से जांच होगी?

क्या जिला प्रशासन और नगर निगम इस ticking time bomb को रोकने की हिम्मत दिखाएंगे?

और सबसे बड़ा सवाल – क्या रियल एस्टेट माफिया के आगे कानून हमेशा यूं ही झुकता रहेगा?

यह मामला लखनऊ के शहरी नियोजन पर एक गंभीर धब्बा है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो रैथा रोड की यह अवैध कॉलोनी आने वाले समय में एक भयानक हादसे का केंद्र बन सकती है।

जन एक्सप्रेस की टीम इस प्रकरण की हर परत को उजागर करती रहेगी। यदि आप भी इस कॉलोनी से जुड़े हैं या आपके पास कोई जानकारी है, तो हमें जरूर संपर्क करें।

हमें ई-मेल करें: janexpress1@gmail.com

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