
जन एक्सप्रेस संवाददाता, खटीमा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को एक बार फिर मिट्टी से जुड़ाव का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। सीएम धामी ने अपने गृहक्षेत्र खटीमा के नगरा तराई में स्थित खेत में स्वयं हल चलाया और धान की रोपाई की।
मिट्टी में पांव डालकर खेतों में काम करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों के श्रम, समर्पण और त्याग को नमन किया।
खेतों में उतरते ही बचपन और संघर्ष के दिन याद आ गए” – मुख्यमंत्री धामी
खेत में धान रोपते हुए भावुक मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती-किसानी मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है। आज जब खेतों में हल चलाया और रोपाई की, तो बचपन के दिन और संघर्ष की स्मृतियां ताजा हो गईं।” उन्होंने आगे कहा कि अन्नदाता केवल अन्न उगाने वाले नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और आत्मनिर्भरता के प्रतीक हैं।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर भी यह क्षण साझा करते हुए लिखा:
धान की रोपाई करते हुए किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव किया। अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि संस्कृति और परंपरा के संवाहक भी हैं।”
“हुड़किया बौल” की गूंज से गूंजे खेत, की देवताओं की वंदना
इस अवसर पर उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा “हुड़किया बौल” का आयोजन भी किया गया, जिसमें खेतों में
भूमि देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र, और मेघ देव की वंदना की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये परंपराएं हमें प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा देती हैं और हमारी आस्था और जीवनशैली का मूल आधार हैं।
तस्वीरों में झलकता मुख्यमंत्री का जमीनी जुड़ाव: खुद चलाया हल, खेत में पसीना बहाया किसानों के साथ बैठकर की धान रोपाई हुड़किया बौल में लिया भाग, परंपरा को किया सम्मानित सोशल मीडिया पर साझा की पोस्ट, जनता से जुड़ाव की मिसाल






