जौनपुर की बेटी सुष्मिता जॉन ने रचा इतिहास — वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाने वाली बनीं महिला लोको पायलट
लगन, शिक्षा और आत्मविश्वास की मिसाल बनीं सुष्मिता, क्षेत्रवासियों ने कहा — “यह हमारी शाहगंज की शान हैं”

जन एक्सप्रेस/जौनपुर: जौनपुर शाहगंज कहते हैं कि अगर इरादे बुलंद हों तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं होती। यह कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है शाहगंज क्षेत्र की प्रतिभाशाली बेटी सुष्मिता जॉन पर, जिन्होंने अपनी लगन, मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिस पर पूरे जनपद को नाज़ है।
मूल रूप से ग्रामसभा भादी की निवासी सुष्मिता जॉन ने रेलवे में लोको पायलट के रूप में कार्य करते हुए देश की प्रतिष्ठित और हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को संचालित कर नया इतिहास रच दिया है। बीते 8 नवम्बर को उन्होंने वाराणसी से खजुराहो के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को 110 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर सफलतापूर्वक और सुरक्षित ढंग से चलाया। यह वही ट्रेन है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
सुष्मिता का यह उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने का साहस रखती हैं। शिक्षा और परिश्रम का उज्ज्वल उदाहरण सुष्मिता ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट थॉमस इंटर कॉलेज, शाहगंज से पूरी की, जहाँ उनके पिता बी.पी. जॉन गणित के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं।
पारिवारिक अनुशासन और शिक्षा के संस्कारों ने ही उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने बी.टेक (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री हासिल कर तकनीकी क्षेत्र में अपनी मजबूत नींव रखी। सन् 2018 में उनकी पहली नियुक्ति भारतीय रेल के मुरादाबाद मंडल में लोको पायलट के रूप में हुई। अपने समर्पण और तकनीकी दक्षता के बल पर उन्होंने निरंतर प्रगति की और आज देश की उन चुनिंदा महिला लोको पायलटों में शुमार हो गई हैं जिन्होंने वंदे भारत जैसी हाईस्पीड ट्रेन को संचालित करने का गौरव प्राप्त किया है।
गर्व और प्रेरणा का क्षण सुष्मिता की इस उपलब्धि से न केवल शाहगंज बल्कि पूरा जनपद जौनपुर गौरवान्वित है। क्षेत्रवासियों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि “सुष्मिता जॉन ने यह साबित कर दिया कि बेटियाँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। उन्होंने शाहगंज का नाम राष्ट्रीय पटल पर रोशन कर दिया है।
सुष्मिता का कहना है — “मेरे लिए यह केवल नौकरी नहीं, बल्कि देश की प्रगति से जुड़ी जिम्मेदारी है। हर बेटी अगर खुद पर विश्वास करे तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं होता।”
उनकी सफलता यह संदेश देती है कि शिक्षा, परिश्रम और आत्मविश्वास के साथ बेटियाँ हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छू सकती हैं। सुष्मिता जॉन आज सचमुच “शाहगंज की शान” बन चुकी हैं।






