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‘लखनऊ की टीले वाली मस्जिद है लक्ष्मण टीला, होना चाहिए सर्वे’

राम जन्मभूमि, कृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी और टीले वाली मस्जिद के पक्षकार शिशिर चतुर्वेदी ने निचली अदालत में टीले वाली मस्जिद के सर्वे की याचिका दायर की

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-चतुर्वेदी के मुताबिक, इतिहास के पन्नों पर यह दर्ज है कि यह टीले वाली मस्जिद नहीं बल्कि लक्ष्मण टीला है

-पक्षकार के अनुसार, अगली तारीख 15 से 16 फरवरी के बीच लग सकती है

जन एक्सप्रेस/डॉ. वैभव शर्मा 
लखनऊ। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बाद अब लखनऊ की टीले वाली मस्जिद के सर्वे की मांग भी मुखर हो गई है। मामला अब बयान बाजी तक सीमित नहीं है कोर्ट जा पहुंचा है। राम जन्मभूमि, कृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी और टीले वाली मस्जिद के पक्षकार शिशिर चतुर्वेदी ने बताया कि निचली अदालत में उन्होंने टीले वाली मस्जिद के सर्वे की याचिका दायर कर दी है। अगली तारीख 15 से 16 फरवरी के बीच लग सकती है। इसका भी सर्वे शुरू हो सकता है। उनके मुताबिक, इतिहास के पन्नों पर यह दर्ज है कि यह टीले वाली मस्जिद नहीं बल्कि लक्ष्मण टीला है।  लखनऊ नगरी दरअसल लक्ष्मण नगरी है।
सर्वे होगा, उसमें भी हिंदू देवी देवताओं के ही निशान मिलेंगे
शिशिर चतुर्वेदी ने बताया कि तमाम सबूत लखनऊ की टीले वाली मस्जिद में भी मौजूद हैं। वहां पर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं। एक बार जब टीले वाली मस्जिद की ओर जाने का आह्वान किया गया तो टीले वाली मस्जिद के अंदर के लोगों ने सारे सबूत मिटाने की कोशिश की। पीएसी भेज कर सबूत मिटाने से रोका जा सका। उन्होंने कहा कि जिस दिन टीले वाली मस्जिद का सर्वे होगा, उसमें भी हिंदू देवी देवताओं के ही निशान मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अदालत पर मुस्लिम पक्ष को भी भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि अदालत सबूतसबूत के आधार पर अदालत फैसला सुनाती है।
अंग्रेजों के गजेटियर में भी लक्ष्मण टीला ही लिखा गया है
देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट के अनुसार टीले वाली मस्जिद असल में लक्ष्मण टीला है, क्योंकि लखनऊ शहर को राम के अनुज लक्ष्मण ने बसाया था। उन्‍होंने कहा कि अंग्रेजों के गजेटियर में भी लक्ष्मण टीला ही लिखा गया है। उसी का इसमें जिक्र मिलता है। डॉ. रवि भट्ट के मुताबिक, आज भी टीले वाली मस्जिद में कई अवशेष ऐसे मिलते हैं जिससे यह साबित होता है कि वह टीले वाली मस्जिद नहीं बल्कि लक्ष्मण टीला है। उन्होंने आगे दावा किया कि जब मुगल काल में औरंगजेब का शासन आया तब उसने यहां पर मस्जिद का निर्माण कराया और इस मस्जिद में आज शाह मुहम्मद पीर की मजार है, जिसे लोग बहुत मानते हैं और मुस्लिम समुदाय यहां पर नमाज अदा करता है।
लखनऊनामा में टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण टीला होना ही बताया है
जाने-माने इतिहासकार स्वर्गीय डॉ. योगेश प्रवीन की किताब ‘लखनऊनामा’ में भी इसका जिक्र है। लखनऊनामा में टीले वाली मस्जिद को लक्ष्मण टीला होना ही बताया है. यही नहीं, उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि 12वीं सदी में जब यवनों ने अवध पर आक्रमण किया तो इस शेष तीर्थ को नुकसान पहुंचा और जब मुगल काल में औरंगजेब आया तो उसने अपने तत्कालीन गवर्नर सुल्तान शाह कुली खां द्वारा इस तीर्थ स्थान की जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया, तभी से इसे टीले वाली मस्जिद कहा जाने लगा।
लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुरी किए जाने की भी मांग की जा चुकी है
शिशिर चतुर्वेदी ने बताया कि लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुरी किए जाने की भी मांग की जा चुकी है। जिस दिन कोर्ट में ज्ञानवापी की याचिका लगाई गई थी, उस दिन मुस्लिम पक्ष देर से पहुंचा था। पहले जब मुस्लिम पक्ष को सुनने के लिए कहा गया था, तो उन्होंने कहा कि कॉपी नहीं मिली है। लगातार मुस्लिम पक्ष बहाना बनाता रहा है। दरअसल उनके पास ज्ञानवापी को मस्जिद साबित करने का कोई सबूत ही नहीं था। जबकि हिंदू पक्ष के पास तमाम सबूत हैं, जिससे ज्ञानवापी को मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर साबित किया जा सकता है।

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