उत्तराखंड

उत्पत्ति, स्थिति और संहार के अधिपति देव हैं महादेव : त्रिवेणी दास

हरिद्वार । श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर के परमाध्यक्ष श्रीमहंत अखिल त्रिवेणी दास महाराज ने कहा कि श्रावण मास में की गई उनकी आराधना प्रत्येक भक्त को मनोवांछित फल प्रदान कर उसकी सभी दुश्वारियां को दूर करती है। देवों के देव महादेव भगवान शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति देव हैं, जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं।

यह उद्गार उन्होंने श्रीतिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर के श्रावण मास के 31वें वार्षिकोत्सव में श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कनखल नगरी के कण-कण में भगवान शिव विद्यमान हैं। चातुमार्स के चार माह भगवान शिव कनखल में निवासरत रहते हुए सृष्टि की सत्ता का संचालन करते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर तो प्रत्येक व्यक्ति के कण-कण में विराजमान हैं, किन्तु जो शिव को समर्पित हो गया वहीं उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव भक्त के जल, पुष्प अर्पण करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इस कारण भी उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव ही परम कल्याणकारी देव हैं। शिव अनादि हैं तथा अनन्त हैं। उन्होंने कहा कि चराचर जगत ही भगवान शिव का रूप है। इसी कारण से भगवान शिव की महिमा को अपरंपार कहा गया है।

इससे पूर्व प्रातः गणेश पूजन, भगवान श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन व श्रावण मास पर्यंत चली आ रही शिवोपासना की पूर्णाहुति हुई। जिसमें कई प्रांतों से आए सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आहूति देकर विश्व कल्याण की कामना की। इसके पश्चात विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।

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