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शिक्षा को बनाया निजी व्यवसाय, नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़

बिना मान्यता संचालित हैं विद्यालय, जिम्मेदार नही दे रहे ध्यान

जन एक्सप्रेस/अनिल मौर्या

मिहींपुरवा, बहराइच। जिले के मिहींपुरवा तहसील क्षेत्र में कुछ शिक्षा माफियाओं ने विद्यालय को निजी व्यवसाय का माध्यम बना लिया है। बिना मान्यता के निजी स्कूल चल रहे है। विद्यालय के संचालक अभिभावकों से नौनिहालों को बेहतर शिक्षा देने के नाम पर प्रतिमाह मोटी रकम वसूल रहे हैं। गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय मानक भी पूरा नहीं करते। फिर भी इनका संचालन लगातार जारी है। ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के संचालन की जानकारी न हो। इसके बावजूद उनके कानों पर जूं नहीं रेंगती है।

सर्टिफिकेट के नाम पर वसूली जाती है मोटी रकम

जिला प्रशासन के सख्त आदेशों के बावजूद भी क्षेत्र में दर्जनों निजी स्कूल बिना मान्यता के बेरोकटोक संचालित हो रहे है। कई स्कूल ऐसे हैं जिनके संचालकों ने आठवीं की मान्यता होने के बाद भी 10 वीं तक की कक्षाएं संचालित कर रखी है, तो कई स्कूल छप्परों में चल रहे है। गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय मानक भी पूरा नहीं करते। इनके संचालक अभिभावकों को उनके नौनिहालों को तरह तरह का बेहतर शिक्षा देने का आश्वासन देते हैं। इसके बाद विद्यालय में नामांकन करा लेते हैं। नामांकन के दौरान ही अभिभावकों से मोटी रकम वसूल की जाती है। इसके बाद शिक्षण सामग्री के नाम पर भी अभिभावकों से रकम वसूली जाती है। वसूली गई रकम के लिए कोई रसीद भी अभिभावकों को नहीं दी जाती। इस क्षेत्र के लोग आए दिन शिक्षा माफियाओं की ठगी का शिकार हो रहे हैं। जब भी कोई अभिभावक किसी कारण बस अपने बच्चों को दूसरे विद्यालय में दाखिला दिलाने के लिए स्थानांतरण सर्टिफिकेट मांगता है तो भी उसे उससे मोटी रकम वसूली जाती है।

नौनिहालों के साथ कभी भी हो सकता है हादसा

शिक्षा महकमें के अधिकारियों के पास क्षेत्र में संचालित फर्जी शिक्षण संस्थाओं की न सूची बनाई है और न ही ऐसे स्कूलों के खिलाफ पिछले अर्से से कोई कार्यवाही की है। जबकि नए सत्र में भी अनेक स्थानों पर फर्जी शिक्षण संस्थाएं खोलकर छात्रों के भविष्य के साथ फिर से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने पिछले सत्र में जिले के सभी निजी स्कूल संचालकों की बैठक लेकर बिना मान्यता के स्कूल संचालित नहीं करने, मान्यता से अधिक कक्षाएं नहीं चलाने तथा राइट टू एजूकेशन का पालन के निर्देश दिए थे। लेकिन सत्र बदलते ही निर्देशों की पालन के बजाय धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही है। मिहींपुरवा क्षेत्र में ही नहीं नानपारा तहसील के ग्रामीण इलाके में दो दर्जन से अधिक निजी स्कूल बिना मान्यता के संचालित किए जा रहे है। इनके द्वारा राइट टू एजूकेशन का पालन करने में गंभीर अनियमितता बरती जा रही है। मान्यता से अधिक कक्षाएं चलाई जा रही है। कई स्कूलों के पास भवन न होने से नौनिहालों को छप्परों के नीचे बिठाकर शिक्षित किया जा रहा है। जिसमें कभी भी हादसा होने की आशंका बनी रहती है।

ये है प्रावधान

राइट टू एजूकेशन 2009 में प्रावधान है कि यदि किसी निजी स्कूल द्वारा एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है तो शिक्षा निदेशक द्वारा उसकी मान्यता रद्द कर जुर्माना वसूला जा सकता है। अगर कोई निजी स्कूल बिना मान्यता के चलता पाया जाता है तो संचालक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने एवं जुर्माना वसूले जाने की कार्यवाही की जा सकती है। लेकिन जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अभी तक इस तरह की कार्रवाई के लिए फुर्सत नहीं मिल पाई है। जिससे यह तय हो सके कि कितने स्कूल फर्जी तरीके से और कहां कहां संचालित हो रहे है।

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