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यूपी में चल रहा गोवंश तस्करी का खेल, आवाज उठाने पर चिकित्साधिकारी को किया गया सस्पेंड
जन एक्सप्रेस, लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में गोवंश के मीट तस्करी का गंभीर मामला सामने आया है। डॉ. संजय चतुर्वेदी पर आरोप है कि उन्होंने मेरठ के एक मीट प्लांट के लिए गाय के मीट को भैंस का बताकर प्रमाणित किया। इस प्रमाणपत्र के जरिए गोवंश का मीट अन्य राज्यों में तस्करी के लिए भेजा गया। इस मामले की जांच के लिए पंजाब और उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने 2020 में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी, जिसमें डॉ. चतुर्वेदी को दोषी पाया गया था।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर कार्रवाई
इस प्रकरण को उजागर करने वाले उपमुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज कुमार को सस्पेंड कर दिया गया। डॉ. मनोज का कहना है कि जो कर्मचारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उनके मानदेय को छह महीने से रोक दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गौ तस्करी रोकने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि ऐसा ही चलता रहा, तो गौ तस्करी रोकने के दावे करने बंद कर देने चाहिए।
जांच रिपोर्ट को दबाने का आरोप
एसआईटी की जांच रिपोर्ट तीन साल तक शासन में दबा दी गई। इसके बाद प्रमुख सचिव पशुधन रवींद्र नायक और विशेष सचिव पशुधन देवेंद्र पांडेय ने नए सिरे से जांच के आदेश दिए। इस जांच में बागपत के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद त्रिपाठी ने कथित तौर पर डॉ. संजय चतुर्वेदी को क्लीन चिट दे दी। जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट था कि गोवंश के मीट की तस्करी में उनकी संलिप्तता है।
प्रमोशन के जरिए संरक्षण
डॉ. संजय चतुर्वेदी को दोषी ठहराए जाने के बावजूद शामली जिले में प्रमोशन देकर नियुक्त कर दिया गया। यह कदम न केवल गोवंश संरक्षण कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के भी विपरीत है। इस प्रमोशन को कथित तौर पर भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ का परिणाम बताया जा रहा है।
निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग
Veterinary Doctor’s Welfare Society ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। सोसायटी ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर डॉ. संजय चतुर्वेदी का प्रमोशन रद्द करने और उनके खिलाफ गोकशी व जालसाजी का मुकदमा दर्ज करने की अपील की है। इसके साथ ही, प्रमुख सचिव और अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की मांग की गई है।