हिमाचल में कमजोर पड़ा मानसून, भूस्खलन से 347 सड़कें बंद
शिमला । हिमाचल प्रदेश में तबाही मचा रहा मानसून कमजोर पड़ गया है। राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में शनिवार को मौसम साफ रहा। मैदानी इलाकों में हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना और कांगड़ा जिलों में धूप खिली है। बीती रात शिमला में हल्की बारिश हुई, लेकिन आज सुबह से हल्के बादलों के बीच धूप चमक रही है। इससे लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि मैदानी जिलों में बारिश का दौर थमते ही अधिकतम तापमान में फिर बढ़ोतरी होना शुरू हो गई है।
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान राज्य में कहीं-कहीं बादलों के गरजने का येलो अलर्ट जारी किया है। 29 अगस्त तक मौसम के खराब रहने का अनुमान है, लेकिन इस अवधि में भारी बारिश की चेतावनी नहीं दी गई है। 30 व 31 अगस्त को पूरे प्रदेश में मौसम साफ बना रहेगा।
शिमला स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि मानसून के मंद पड़ने से अगले कुछ दिन राज्य में भारी बारिश होने की आशंका नहीं है। राज्य के अधिकांश हिस्सों में आगामी चार दिन हल्की वर्षा हो सकती है। 30 व 31 अगस्त को मौसम शुष्क रहेगा।
इस बीच मौसम खुलने से भूस्खलन से अवरुद्ध सड़कों के बहाली कार्य में तेज़ी आई है। हालांकि अभी भी सैंकड़ों सड़कें अवरुद्ध हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार सुबह तक राज्यभर में दो नेशनल हाइवे समेत 347 सड़कें बंद रहीं। इनमें मंडी जिला में सबसे ज्यादा 182 सड़कें बंद हैं। सोलन में 53, शिमला में 39, कुल्लू में 32, कांगड़ा में 14, हमीरपुर में 13 और बिलासपुर में सात सड़कें बंद हैं।राज्य में 295 बिजली ट्रांसफार्मर और 222 पेयजल स्कीमें भी पूरी तरह ठप हैं। कुल्लू में 104, मंडी में 72, शिमला में 50, हमीरपुर में 38 और सोलन में 27 ट्रांसफार्मर खराब होने से बिजली की आपूर्ति प्रभावित हुई है। मंडी जिला में पानी की 142 स्कीमें ठप हैं। शिमला में 42, बिलासपुर में 26 और सोलन में 12 पेयजल स्कीमें प्रभावित हैं।
मानसून सीजन में विभिन्न हादसों में 372 की मौत
हिमाचल प्रदेश में मानसून ने 24 जून को दस्तक दी थी और अब तक मानसून सीजन में वर्षा से जुड़े हादसों में 372 लोगों की जान गई है और 40 लापता हैं। 349 लोग घायल हुए हैं। भूस्खलन एवं बाढ़ की चपेट में आने से 139 लोग मारे गए हैं। जबकि अन्य वर्षा जनित हादसों में 233 लोगों की मौत हुई। मानसून सीजन में 2400 मकान, 303 दुकानें और 5133 पशुशालाएं पूरी तरह धराशायी हुईं।